*-उपनिषद सम्पूर्ण विश्व साहित्य कि श्रेष्ठतम कृतिया है: -पद्मभूषण डॉ कर्ण सिंह जी कश्मीर
*-भारतीय ज्ञान परंपरा के मौलिक दस्तावेज है उपनिषद :- पद्मभूषण महाराजा डॉ कर्ण सिंह जी कश्मीर
*- विश्व शांति कि स्थापना के लिए अमोध शास्त्र है उपनिषद व भारत विश्व में जगत गुरु के रूप में स्मरणीय है : -प्रताप सिंह खाचरियावास
ग्लोबल हिस्ट्री फोरम एवम शिवरती शोध संस्थान के तत्वावधान में “” उपनिषदों कि शैक्षिक प्रासंगिकता “” ( नई शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में )विषय पर आज ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया।
आयोजन सचिव डॉ अजात शत्रु शिवरती ने बताया कि इस व्याख्यान में मुख्य अतिथि एवम मुख्य वक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री,पूर्व राज्यपाल,पूर्व भारत के राजदूत रहे एवम जम्मू कश्मीर के पूर्व महाराजा हरि सिंह जी के पुत्र 93 वर्ष पद्मभूषण डॉ कर्ण सिंह जी कश्मीर ने “” उपनिषद “” पर बोलते हुए कहा कि इनमे निहित मानवीय मूल्यों ,जिनकी हर देश में व हर युग में आवश्यकता रही है।यही हमारे बौद्धिक पेटेंट टैंक है।उपनिषद भारत कि मूल आत्मा है। उपनिषद विश्व दर्शन साहित्य के इतिहास कि मूल्यवान धरोहर है। उपनिषद भगवान का गाया हुआ गीत,विद्या ,योग शास्त्र है,श्रीकृष्ण योगेश्वर है।इसका अर्थ गुरु के पास बैठकर शिष्य को बतलाया जाने वाला रहस्य है।उपनिषद वैदिक साहित्य के अंतिम भाग होने के कारण “” वेदांत””नाम से भी प्रसिद्ध है। वेदांत दर्शन के तीन प्रस्थान हे – उपनिषद,गीता और ब्रह्मसूत्र। उपनिषद को आत्मविधा , मोक्षविधा और ब्रह्मविद्या भी कहा जाता हैं
प्रमुख अतिथि परिवहन मंत्री ,राजस्थान सरकार ,प्रताप सिंह खचरियावास ने बताया कि वैदिक एवम पौराणिक परंपराओं ने हमे न केवल सभ्य व सुसंस्कृत बनाया वरन हमे विश्व शांति की स्थापना के लिए अमोध शास्त्र भी प्रदान किए हैं।आत्मा परमात्मा प्रकृति के विषय में गुड़ ज्ञान हमारे मनीषियों ने श्रुति एवम स्मृति के माध्यम से संदेश दिया है व भारतीय ज्ञान विज्ञान और दर्शन का आधार रहा है।इसी को जगत गुरु शंकराचार्य आदि विद्वानों ने भारतीय ज्ञान को विश्व के कोने कोने तक संप्रेषित किया है, इसीलिए भारत विश्व में जगत गुरु के रूप में स्मरणीय है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में अपने संदेश में सांसद दिया कुमारी जी ने कहा की नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय उपनिषदों में उल्लेखित नैतिक शिक्षा और चरित्र निर्माण को आज के पाठ्यक्रम में शिक्षा के हर स्तर पर जोड़ने कि आवश्यकता है।
विषय प्रवर्तन पर बोलते हुए भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो जी एल मेनारिया ने बताया कि मेवाड़ राजवंश के शिवरती घराने में सनातन धर्म व अध्यात्म कि संत परंपरा रही है ,जिसमे संत शिरोमणि मीरा बाई,लोकसंत महाराज चतुर सिंह जी बावजी जैसे अनेकों प्रेरणादायक व्यक्ति रहे ,इसी क्रम में शत्रुदमन सिंह शिवरती जो एक दिव्य पुरुष हे,जिनकी स्मृति में आज का व्याख्यान आयोजित हुआ। आशा है कि यह परिवार उसी परंपरा पर अडिग रहते हुए उपनिषदिक संस्कृति मे आध्यात्मिक धर्म,लोकशिक्षा का प्रकाश फेलाते रहेंगे।
शिक्षाविद कुलपति, मंगलायतान विश्वविद्यालय ,मथुरा प्रो परमेंद्र दशोरा ने उपनिषद कि महत्ता पर बताया कि विश्व साहित्य कि महान विरासत उपनिषदों को भारत द्वारा बौद्धिक संपदा के तहत वेदों, उपनिषदों और गीता को ज्ञान कि विरासात के रूप में पेटेंट कराना होगा,अन्यथा अन्य देशों द्वारा इस ज्ञान का दुरपयोग होने कि संभावना
इस अवसर पर विश्व के शिक्षाविद्,इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता,शोधार्थियों ने सहभागिता दर्ज की।