उदयपुर.दृष्टिहीनों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने वाले तथा चक्षुविहीनों के जीवन में प्रज्ञा की रोशनी भरने वाले वीरेंद्र कुमार आर्य का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने साढ़े 3 दशक तक संगीत अध्यापक के रूप में उदयपुर के अंबामाता स्थित प्रज्ञा चक्षु अंध विद्यालय में कार्य किया। उन्हीं के नेतृत्व में हुए आंदोलन एवं प्रयासों के चलते वर्ष 1997 में राजस्थान सरकार ने अंध विद्यालय का टेक ओवर किया। वे कई वर्षों तक राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे जहां उन्होंने राजस्थान के दृष्टिहीन समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व किया। वे उदयपुर संभाग ही नहीं बल्कि राजस्थान के दृष्टिहीनों में काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने दृष्टिहीनों के अधिकारों के लिए काफी लंबा संघर्ष किया। वीरेंद्र आर्य अपने छात्रों से जीवन भर का संबंध रखते थे। छात्र स्कूल से पास होने के बाद भी उनके संपर्क में रहते थे। वे अपने छात्रों की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। इसी कारण वे अपने छात्रों के बीच लोकप्रिय शिक्षक थे। उनके द्वारा पढ़ाए गए दृष्टिहीन छात्र आज आरएएस अधिकारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, रेलवे के अधिकारी, बैंक अधिकारी जैसे बड़े पदों पर आसीन हैं।
शिक्षाविद वीरेंद्र कुमार आर्य का निधन, सैकड़ो दृष्टिहीन छात्रों के जीवन में भरा उजाला
