विष को अमृत समझने वाला व्यक्ति अपनी जिन्दगी दाँव पर लगाताः संयम ज्योति

उदयपुर। समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साधी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि अमृत को विष समझ लेने पर व्यक्ति अमृत के आस्वादन से वंचित हो जाता है वही विष को अमृत समझने वाला व्यक्ति अपनी जिन्दगी दाँव पर लगा देता है।
साध्वी ने कहा कि फाल्स बिलीफ अर्थात मिथ्यात्व जीवात्मा के बंधन का प्रमुख कारण है। मिथ्यात्व से ग्रस्त व्यक्ति विपरीत मान्यता वाला होता है। वह धर्म को अधर्म और अधर्म को धर्म मानता है।  उन्होंने कहा कि फाल्स बिलीफ राईट फेथ को प्रगट नही होने देता। राईट विजन के अभाव में व्यक्ति वस्तु के यथावत् स्वरूप को नही जान पाता।
साध्वी ने कहा कि मिथ्यात्व सच्चे देव, सच्चे गुरु और सच्चे धर्म की पहचान नहीं होने देता है। जिसने राग, द्वेष को जीत लिया वे ही सच्चे देव कहलाते है। जो निग्रंथ है पूर्णता की ट्रेनिंग ले रहे हैं वे सच्चे गुरु है और अहिंसा,संयम और तप का जो संन्देश दे वह सच्चा धर्म है।
साध्वी संयम साक्षी जी ने योगी आनंदधन की भक्ति की खुमारी का विवेचन करते हुए सदैव ऑप्टिमिस्टिक आशावादी रहें कि भक्ति करते हुए कभी न कभी तो भक्त और भगवान का फासला दूर होगा। भक्ति अवश्य भक्त को भगवान बनायेगी।

By Udaipurviews

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