जयपुर 27 अगस्त। सूचना एवं प्रौद्योगिकी आयुक्त आशीष गुप्ता ने कहा कि डिजिटल माध्यम से योजनाओं की सर्विस डिलीवरी में राजस्थान देश में अब सिरमौर राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में 85 हजार ई -मित्र एवं 15 हजार ई-मित्र प्लस सहित कुल एक लाख ई -मित्र संचालित है, जबकि देश में यह आंकड़ा 3 लाख है, ऐसे में राजस्थान में पूरे देश के एक तिहाई ई-मित्र संचालित हो रहे हैं।
गुप्ता शुक्रवार को झालाना डूंगरी स्थित भामाशाह टेक्नो हब में ‘आधार उपयोग को सरल बनाने के लिए हालिया पहल‘ पर एक राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में 0 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के आधार पंजीकरण कम है। इस कमी को पूरा करने पर राज्य सरकार फोकस करेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य में पहले सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए या अन्य कार्यों के लिए आमजन को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन डिजिटल क्रांति के इस युग में अब सरकार की सारी योजनाएं मोबाइल फोन पर उपलब्ध हैं तथा डिजिटल सर्विस डिलीवरी से सिस्टम में पारदर्शिता बड़ी है। श्री गुप्ता ने बताया कि सर्विस डिलीवरी में सबसे मुख्य भूमिका डाटा की प्रमाणिकता होती है। राज्य में यह काम आधार कार्ड अथवा जन आधार कार्ड द्वारा संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम आगामी समय में राज्य में आधार पंजीकरण सौ प्रतिशत करने पर काम कर रहे हैं।
शरत कविराज, पुलिस महानिरीक्षक राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, ने अभियुक्तों और जमानतदारों के रिकॉर्ड पर नज़र रखने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में आधार के उपयोग का लाभ उठाने की आवश्यकता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम से भी आधार को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
कार्यशाला में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यू.आई.डी.ए.आई.) के क्षेत्रीय कार्यालय से आई.टी.एस., डीडीजी (एचआर) अतुल चौधरी ने आधार पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और जोर दिया कि डेटा सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यू.आई.डी.ए.आई. डेटाबेस की सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
संजय कुमार सोहानी, आई.टी.एस., उप महानिदेशक, यू.आई.डी.ए.आई. ने बताया कि आधार भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का मूल बन गया है तथा इसने डिजिटल विभाजन को पाट दिया है। उन्होंने बताया कि आधार ने ई-केवाईसी सेवाओं को सक्षम किया है। उन्होंने फेस ऑथेंटिकेशन, ऑफलाइन वेरिफिकेशन और यूआईडीएआई द्वारा ली गई ऑथेंटिकेशन फीस में कमी जैसी हालिया पहलों का भी जिक्र किया।
कार्यशाला के चार सत्रों में आधार पारिस्थितिकी तंत्र में जोड़े गए नवीनतम प्रमाणीकरण सुविधाओं, आधार के अभिनव उपयोग और राजस्थान में लागू सर्वाेत्तम तकनीकों, डेटा गोपनीयता और सूचना सुरक्षा, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली पर विचार-विमर्श किया गया। सत्रों में एम-आधार ऐप, आधार ऑनलाइन सेवाओं और आधार नामांकन सहित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारी, बैंकों, बी.एस.एन.एल., डाक विभाग, राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एन.आई.सी.) और केंद्र सरकार के अधिकारियों ने भाग लिया।