उदयपुर : शीत कालीन चार धाम यात्रा ने श्रद्धालुओं को न केवल शीतलता का अहसास कराया, बल्कि एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव भी प्रदान किया। यह यात्रा विशेष रूप से परमाराध्य शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द जी के आशीर्वाद से अभूतपूर्व रही। मेवाड़ धर्म प्रमुख श्री श्री रोहित गोपाल सूत जी महाराज ने बताया कि इस यात्रा के दौरान शंकराचार्य भगवान के दर्शन और परम सत्संग ने उन्हें जीवन के गहरे सत्य का बोध कराया।
यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने सुखी मठ में माँ यमुनोत्री के दर्शन किए, जहाँ उन्हें शनि भगवान के आशीर्वाद से यह अनुभव हुआ कि यह स्थान न तो यम के भय से और न ही शनि की साढ़े साती के डर से मुक्त है। माँ यमुनोत्री के दर्शन ने श्रद्धालुओं को भयमुक्त किया और परिवार में मधुर संबंधों का ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद, मुखवा मुखी मठ में पहुँचने पर ऐसा लगा जैसे श्रद्धालु माँ गंगा के साथ परम ब्रह्म के दर्शन कर रहे हों। शंकराचार्य भगवान ने बताया था कि जैसे माँ गंगा निरंतर गमन करती रहती हैं, वैसे ही हमें भी जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
इस यात्रा में ऊखी मठ और ऊँ कारेश्वर भगवान के दर्शन ने श्रद्धालुओं को अद्भुत आध्यात्मिक शांति दी। यात्रा का समापन हरिद्वार के चण्डी घाट पर भव्य आरती से हुआ, जिसमें माँ चण्डी ने सभी १०८ यात्रियों को आशीर्वाद दिया। शंकराचार्य भगवान के आशीर्वाद से यात्रियों को आत्मिक शांति और मोक्ष का अनुभव हुआ।
यह शीत कालीन यात्रा न केवल शारीरिक शीतलता का अहसास कराती है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी एक अविस्मरणीय अनुभव साबित हुई है।