निर्जला एकादशी पर भगवान जगदीश के किए दर्शन, खूब किया दान पुण्य

उदयपुर। मान्यता है निर्जला एकादशी के दिन उपवास रखने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में सौभाग्य और धन वृद्धि करती हैं। इस व्रत को करने से प्राणी की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है,आध्यत्मिक ऊर्जा का विकास होता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।


सनातन धर्म में 24 एकादशी होती हैं। सभी का अपना महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को पड़ने वाली निर्जिला एकादशी का विशेष महत्व माना जाता। इस एकादशी में पानी पीना पूर्णतया वर्जित है। यही वजह है कि इस एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसका व्रत करने से सभी 24 एकादशियों का फल मिल जाता है। धार्मिक शास्त्रों में निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं।
उदयपुर में आज ब्रह्ममुर्हूत में ही शहर व ग्रामीण भक्तजन भगवान जगदीश के दर्शन करने जगदीश मंदिर पहुंचे। हजारों की तादाद में दर्शनार्थ आए भक्तों के लिए कई संगठनों ने हाथीपोल से जगदीश मंदिर मार्ग तक शीतल पेय, छाछ, पकौड़े, सेगारी फलहार की स्टालें लगाई। वही भक्तजनों ने खूब दान पुण्य किया।
पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार जब महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम ने निवेदन किया- महर्षि आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता- मेरे पेट में ‘वृक’ नाम की जो अग्नि है, उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाऊं।
महर्षि ने भीम की समस्या का निदान करते और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- नहीं कुंतीनंदन, धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता। सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध करवाता है। अतः ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। निःसंदेह तुम इस लोक में सुख, यश और प्राप्तव्य प्राप्त कर मोक्ष लाभ प्राप्त करोगे।
वेदव्यास के इतने आश्वासन पर तो वृकोदर भीमसेन भी इस एकादशी का विधिवत व्रत करने को सहमत हो गए। इसलिए वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को लोक में पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो स्वयं निर्जल रहकर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा घड़ा दान करता है। फल दान करता हैं उसे जीवन में कभी भी किसी बात की कमी नहीं होती। हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।

By Udaipurviews

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