उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ.संयमलताजी म.सा.,डॉ.अमितप्रज्ञाजी म.सा., कमलप्रज्ञाजी म.सा., सौरभप्रज्ञाजी म.सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कह कि धर्म पर जब जब संकट आया, परेशानी आयी,विपदा आयी,धर्म की अक्षुणता को कायम रखने के लिए हमारे धर्म आचार्यों द्वारा प्राचीन मंत्रों की रचना की गई। महासती ने कहा कि अहमदाबाद के दरिया खाना पीर की दरगाह में आचार्य धर्मसिंह महाराज द्वारा पेसंठिया छन्द की रचना हुई। इस पेसंठिया छंद में 24 तीर्थंकरों की स्तुति है। आधी व्याधि उपाधि को मिटाने के लिए पाप ताप संताप से बचने के लिए,पाप खपाने के लिए, पुण्य कमाने के लिए भव्य अनुष्ठान का आयोजन हुआ। 1500 श्रावक श्राविकाओं ने मिलकर अनुष्ठान का लाभ लिया। अनुष्ठान के लाभार्थी विजयनगर निवासी शांतिकुमार चपलोत परिवार रहा।
पेसंठिया छन्द का उपयोग सारी समस्याओं और तनाव से रखता है मुक्त -साध्वी संयमलता
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