उदयपुर, 14 दिसंबर। उदयपुर रंग महोत्सव के प्रथम रंग संवाद की शुरूआत वरिष्ठ साहित्यकार इक़बाल खान द्वारा सरस्वती वंदना एवं मुख्य अतिथि दिनेश कोठारी एवं वरिष्ठ साहित्यकारो नाटककारों एवं टीम नाट्य संस्था के सदस्यों ने दीप प्रज्वलन कर की। तत्पश्चात रंग संवाद वरिष्ठ साहित्यकार, नाटककार, लेखक, पत्रकार, हरीश बी शर्मा, डॉ श्रीकृष्ण जुगनू, सुनील मित्तल, कुंदन माली की उपस्थिति में आरंभ हुआ। सभी वरिष्ठ जनो ने अपने वक्तव्य से श्रोताओं को रंगकर्म एवं रंगकर्मियों का आम समाज को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका से अवगत कराया। डॉ श्रीकृष्ण जुगनू ने कहा कि रंग कर्म एक अनुष्ठान है, एक ऐसी विद्या जिसमे हर विद्या का समावेश है। उन्हांंने रंगकर्मियों के लिए भारतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र एवं लोकनाट्य की रचनाओं की गहराई और उससे जुड़ी चेतना के चरित्रचित्रण को महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम में वरिष्ठ नाटककार सुनील मित्तल ने कहा कि नाट्यकर्म एक अभिनेता के चरित्र को निखरता है, मर्यादा का पालन करना सिखाता है।
इस अवसर पर बीकानेर से आउ वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक, पत्रकार हरीश बी शर्मा ने मंगल सक्सेना, रिजवान जाहिर उस्मान, देवीलाल सामर जैसे भूतपूर्व रंगकर्मियों के राजस्थान रंगमंच की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ साहित्यकार कुंदन माली ने कहा कि नाटक और जीवन एक दूसरे के पूरक हैं, नाटक का उद्देश्य महज मनोरंजन नहीं मनःचेतना का सामूहिक विकास है। एक नाटककार किस तरह अपनी व्यक्तिगत जैविक संघर्ष और चुनोटियों को अनदेखा कर रंगकर्म के प्रति उनके प्रेम और निष्ठा का पालन करते हुए इस विद्या को आगे बढ़ाते रहता है, और समाज को नई दिशा देता है, पर समाज उसे कुछ नहीं देता। यूट्यूब सोशल मीडिया जैसे बढ़ते मनोरंजन के साधन के चलते दर्शकों एवं रंगकर्मियों के प्रेक्षागृह ओर नाट्य विद्या जैसी गंभीर ज्वलंत समस्याओं को उजागर किया। इस रंग संवाद का मंच संचालन निर्मला वर्मा ने किया। अंत में टीम नाट्य संस्था के अध्यक्ष सुनील टांक और इंदौर से आए मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र अंकित दास ने आभार जताया।