उदयपुर । नगर निगम व जिला प्रशासन , दोनो ही झीलों मे पर्यावरण अनुकूल नाव संचालन पर सहमत है। ऐसे मे जयपुर मे बैठे अधिकारी व नेता झीलों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करने वाले तैरते रेस्टोरेंट, स्पीड बोट इत्यादि की कोई अनुमति जारी नही करे। यह आग्रह झील संवाद मे रखा गया।
उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष 19 सितंबर को उदयपुर के नागरिकों ने नाव नीति का ड्राफ्ट जिला कलेक्टर को सौंपा था। नीति पर हुई बैठकों मे मछलियों, पक्षियों ने भी विशेषज्ञों के माध्यम से अपना पक्ष रखा था। इस ड्राफ्ट नीति मे पेयजल की व पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील झीलों में केवल चप्पू वाली नावें ही चलाने की अनुशंसा करते हुए जिन होटलों को सड़क मार्ग उपलब्ध है, उन्हे नाव से परिवहन की अनुमति नही देने का सुझाव है।
डॉ . अनिल मेहता ने कहा कि
पर्यावरण सुरक्षा , पक्षी सुरक्षा, पर्यटक सुरक्षा – इन तीनो को सुनिश्चित करने वाली नावों को ही अनुमति देनी चाहिए।
झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि स्पीड बोट पर प्रतिबंध का निर्णय स्वागत योग्य है। लेकिन अन्य नावों की भी संख्या व झील मे उनका परिभ्रमण क्षेत्र सीमित करना होगा ताकि देशी प्रवासी पक्षी पीड़ित नही हो।
पर्यावरण प्रेमी नंद किशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर जैसी झीलों में लकड़ी की नावें सर्वाधिक उपयुक्त हैं। वंही
झीलों में नाव की अधिकतम साइज गणगौर बोट से अधिक नहीं हो ।
झील प्रेमी कुशल रावल ने कहा कि होटल व्यवसाइयों द्वारा अवैध रूप से झीलों मे रेस्टोरेंट, स्पा, बार चलाये जा रहे है। इन्हे तुरंत जब्त कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
द्रुपद सिंह व मोहन सिंह चौहान ने कहा कि झील के दस प्रतिशत क्षेत्र में ही नावों के संचालन की अनुमति हो ।
संवाद से पूर्व श्रमदान कर झील सतह से कचरा हटाया गया।
उदयपुर निगम न न्यास चाहते झीलों में पर्यावरण अनुकूल नाव चलाई जाए , जयपुर में बैठे अधिकारी भी रखें ख्याल
