उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में चल रहे चातुर्मास में समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा श्री जी की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि आत्म सत्ता को कर्मसत्ता से मुक्त करने एवं भव चक्र को नष्ट करने के लिए धर्म-चक्र सिद्ध चक्र की आराधना करना आवश्यक है।
साध्वी संयम ने कहा कि देव गुरु और धर्म तीन तत्व है। सिद्ध चक्र आराधना में तीनों ही तत्वों का समावेश होता है इसलिए इस आराधना को करने के बाद कोई भी आराधना शेष नहीं रहती।
साध्वी ने कहा कि आज तक जिन भी आत्माओं ने मोक्ष प्राप्त किया है, कर रहे है और करेंगे उन्होंने सिद्धचक्र की आराधना अवश्य की।
उन्होंने कहा कि नव पद में नौ पद अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चरित्र और तप होते हैं। इनमे प्रथम पाँच परमेष्ठि कहलाते है और अंतिम चार गुण कहलाते है। पंच परमेष्ठि और धर्म तत्व गुण-गुणी का संबंध है। पंचमष्ठि इन चार गुणों से ही गुणी कहलाते है।
भव चक्र को नष्ट करने के लिए धर्म-चक्र सिद्ध चक्र की आराधना करना आवश्यक
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