सहिष्णुता से ही हमारी प्रकृति व प्रवृत्ति में परिवर्तन आता है : आचार्य विजयराज
उदयपुर, 9 अगस्त। केशवनगर स्थित नवकार भवन में आत्मोदय चातुर्मास में आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. एवं उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. की निश्रा में तीन दिवसीय महिला शिविर का आगाज शुक्रवार को हुआ।
श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि शिविर के प्रथम सत्र को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया कि सहनशील बनो तो जीवन सुधरेगा। सहिष्णुता को यदि हम जीवन में उतार लें तो सारी परेशानियां व व्याधियां दूर हो जाएंगी। प्रभु महावीर ने दीक्षा लेते ही चार संकल्प लिए-दुःख से भागूंगा नहीं, दुःख का रोना रोउंगा नहीं, लेट कर सोउंगा नहीं व बैठकर खाना खाऊंगा नहीं। सहिष्णुता से ही हमारी प्रकृति व प्रवृत्ति में परिवर्तन आता है। द्वितीय सत्र में उपाध्याय श्री जी ने फरमाया कि महिलाएं अपने व्यवहार से घर का वातावरण सवारें एवं बच्चों के सामने संस्कार रखें। शिविर के तृतीय सत्र में महासती श्री पुष्पशीला जी म.सा. ने तनाव एवं अवसाद से कैसे बचें एवं चतुर्थ सत्र में श्री विनोद मुनि जी म.सा. ने सम्यक्त्व सच्चं सच्चं विषय पर अपना सारगर्भित उद्बोधन दिया। मीडिया प्रभारी डॉ. हंसा हिंगड़ ने बताया कि शिविर का प्रारम्भ शान्त-क्रान्ति महिला मंडल की अध्यक्ष पद्मिनी चौधरी एवं टीम के मंगलाचरण से हुआ। शिविर में 380 से अधिक रजिस्ट्रेशन हुए जिसमें उटी, आसाम, इंदौर, मेवाड़ एवं मध्यप्रदेश से अनेक क्षेत्रों से प्रतिभागियों ने शिरकत की। मंत्री पुष्पेंद्र बड़ाला ने बताया कि वर्षावास प्रारम्भ से ही एकासन, उपवास, आयम्बिल, बियासने की तपस्याओं की लड़ी लगी हुई है।
तीन दिवसीय महिला शिविर का आगाज, 380 शिविरार्थियों ने लिया भाग
