इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले बनते है महान पुरूष

उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ की ओर से सिन्धी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा में बोलते हुए श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकनमुनि  महाराज ने कहा कि जिन्होंने इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली वह महान पुरुष बन गए। उन्होंने अपने जीवन के साथ ही अपनी आत्मा का भी कल्याण कर लिया। अगर मनुष्य को संसार के परिभ्रमण से बचना है, अपनी आत्मा का कल्याण करना है, अपने जीवन का उत्थान करना है तो उसे अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण या उस पर विजय प्राप्त करना होगा।
मनुष्य की महत्वपूर्ण इंद्रियों में से आंख है, कान है, नाक है तो एक जीभ भी है। यह जीभ ही मनुष्य की पहली पहचान कराती है। मनुष्य का चाल और चरित्र कैसा है यह उसकी जीभ के माध्यम से ही पता चलता है। जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी बोली में मिठास और अपनापन है तो सामने वाला समझ जाता है कि यह व्यक्ति व्यवहार लायक है और व्यावहारिक है। जब आप किसी के घर अतिथि बनकर जाते हैं और सामने वाला आपसे सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करके बोलता है कि पधारो सा विराजोसा भोजन जीमोसा तो इसमें उस व्यक्ति का अपनापन और व्यवहार झलकता है। लेकिन अगर सामने वाला व्यक्ति आपको देखते ही चेहरे पर तनाव के भाव ले आए और कुछ देर बाद ही पूछने लगे कि आप भोजन करोगे क्या, चाय पियोगे क्या, आप यहां रुकोगे क्या तो आपको कैसा लगेगा। यहीं से मनुष्य की पहली पहचान होती है।
जीवन में जीभ पर नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी है। अगर आपके जीभ के द्वारा निकाले गए शब्द नियंत्रित होंगे व्यवस्थित होंगे या सम्मानजनक होंगे तो आपकी कदर भी बढ़ेगी और आपका चरित्र भी साबित होगा कि आप अच्छे चरित्र के व्यक्ति हैं।
डॉ वरुण मुनि ने कहा कि जीभ रस इंद्री होती है। इसको हमेशा रसास्वादन करने में आनंद आता है। मनुष्य जीभ  के वशीभूत होकर हमेशा स्वादिष्ट भोजन स्वादिष्ट व्यंजन खाने में ही विश्वास करता है। कई बार मनुष्य स्वाद के चक्कर में ऐसा ऐसा भोजन करता है जो आगे चलकर उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
महामंत्री एडवोकेट रोशन लाल जैन ने बताया कि अब चातुर्मास काल अपने अंतिम पड़ाव पर है। सुकुन मुनि महाराज एवं संघ का चातुर्मास संपन्नता की और अग्रसर है। पंचायती नोहरे से सभी संत चरित्र आत्माओं का 28 नवंबर को प्रातः 9 बजे विहार होगा। विहार यात्रा का समापन अशोकनगर स्थित लोकाशाह में होगा। वहां रात्रि विश्राम के बाद 29 नवंबर को गुरुदेव का वहां से भी आगामी स्थान के लिए विहार होगा।
उन्होंने बताया कि चातुर्मास कल से जारी नवकार महामंत्र की आराधना लगातार जारी है। नवकार मंत्र की यह आराधना चातुर्मास के समापन और गुरुदेव के विहार तक अनवरत जारी रहेगी। सोमवार को भी गुरुदेव का आशीर्वाद लेने के लिए बाहर से कई अतिथियों का पंचायती नोहरे में आगमन हुआ।

By Udaipurviews

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