उदयपुर से जैन और गौरव के बीच होगा सीधा मुकाबला या बागी बिगाड़ेंगे उनका खेल

उदयपुर से जैन और गौरव के बीच होगा सीधा मुकाबला या बागी बिगाड़ेंगे उनका खेल

-गोपाल लोहार
उदयपुर। कांग्रेस ने मंगलवार देर शाम राजस्थान के 56 प्रत्याशियों की चौथी सूची जारी कर दी। इसमें उदयपुर शहर से पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को अवसर मिला है। जबकि भाजपा तारा चंद जैन को पहले से ही मैदान में उतार चुकी है। इसी के साथ यह तय हो गया कि एक बार फिर उदयपुर शहर विधानसभा में जैन और ब्राह्मण प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला होगा। अब निगाह दोनों पार्टियों के बागियों पर है। यदि वह चुनावी समर में उतरते हैं तो वह खेल बिगाड़ेंगे या खुद चुनौती बनेंगे, फिलहाल स्थिति साफ नहीं है।
भाजपा ही नहीं, कांग्रेस में भी इस बार भितरघात की पूरी आशंका है। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नगर निगम के उप महापौर पारस सिंघवी अभी तक चुनौती बने हुए हैं, वहीं गौरव वल्लभ के लिए स्थानीय नेता चुनौती बन सकते हैं। उनसे निपटने के लिए दोनों पार्टियों को पूरे प्रयास करने होंगे। बागियों के मैदान में उतरने से पार्टी प्रत्याशी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 25 नवम्बर को होने जा रहे हैं और दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के पास घर—घर जाकर जनसंपर्क करने के लिए समय बहुत कम रह गया है। ऐसे में उन्हें जरूरत होगी कि उनकी पार्टी के सभी नेता उनकी पूरी मदद करें। राजनीतिक पंड़ितों का कहना है कि जो पार्टी अपनों के गिले—शिकवे दूर कर पूरा समर्थन पाने में सफल रहेगा, उसकी जीत निश्चित है। इसलिए यह आंकलन नहीं लगाया जा सकता कि यहां भाजपा सफल रहेगी या कांग्रेस।
भाजपा के ताराचंद जैन की चुनौती अलग हैं। पार्टी में उनका कद गुलाबचंद कटारिया जितना नहीं, लेकिन वह अपनी ही पार्टी के पारस सिंघवी को अपने साथ नहीं जोड़ पाए तो उनके लिए यहां से जीतना उतना आसान नहीं। वहीं कांग्रेस के गौरव वल्लभ किसी पहचान के मोहताज तो नहीं लेकिन स्थानीय नेताओं के समर्थन के बिना उनकी मुश्किल कम नहीं होने वाली। ऐसे में जाहिर है कि भाजपा के ताराचंद और कांग्रेस के गौरव वल्लभ की अपनी—अपनी चुनौतियां हैं और उनसे मुुकाबला उन्हें करना पड़ेगा।
इधर, उदयपुर ग्रामीण में कटारा के लिए अंतिम मौका
इधर, उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार डॉ. विवेक कटारा को प्रत्याशी बनाया है। जबकि भाजपा से मौजूदा विधायक फूलसिंह मीणा मैदान में हैं। वह दो बार कटारा को पटखनी दे चुके हैं। गत विधानसभा में मीणा ने एक बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। लगातार दो हार के बाद विवेक कटारा के पास यह चुनाव अंतिम मौका ही कहा जा सकता है। इस बार उनकी हार उनके राजनीतिक कॅरियर पर भारी पड़ सकती है। ऐसे में उनके सामने ‘करो या मरो’ की स्थिति है। हालांकि भाजपा विधायक मीणा इस बार भी अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे हैं लेकिन यह उतनी भी आसान नहीं।

By Udaipurviews

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