परमात्मा की भक्ति कर कमाए दौलत को आत्मरूपी तिजौरी में करें एकत्र, परलोक सुधारें- उत्तम स्वामी
निम्बाहेड़ा।
साल में एक बार सात दिन श्रीमद् भागवत कथा सुनना चाहिए, इससे मनुष्य जीवन में चाहे तीर्थ ना कर पाओं, चार धाम की यात्रा ना कर पाओ, चाहे संसार में स्थित 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन ना हो लेकिन इनके बराबर का लाभ कथा सुनने मिलता है। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण का महात्मय सुनाते हुए उक्त विचार मंडावली ग्राम में आयोजित सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा के छठे दिन शनिवार को बांसवाड़ा के राजराजेश्वरी पदमावती शक्तिपीठ के संस्थापक एवं ध्यानयोगी महर्षि श्री श्री 1008 श्री उत्तम स्वामी जी महाराज ने कथा वाचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने परमात्मा की भक्ति के बारे में विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि शरीर द्वारा कमाई गई सम्पती तो भौतिक तिजौरियों में भरी जाएगी, लेकिन मन और बुद्धी से परमात्मा की भक्ति कर कमाई गई दौलत आत्म रूपी तिजौरी में एकत्र होगी, जो मनुष्य जीवन के दूसरे लोक को सुधार देगी और इसे प्राप्त करने के लिए मनुष्य को प्रयत्न करते रहना चाहिए।
व्यासपीठ पर विराजीत होकर महर्षि उत्तम स्वामी ने रूक्मणी विवाह प्रसंग के दौरान वर्तमान परिपेक्ष्य में कहा नवयुवकों व नवयुवतियों को संदेश देते हुए कहा कि किसी से भी आपका कितना भी अनन्य प्रेम क्यों ना हो, लेकिन माता पिता की नाक कभी नीचे मत होने देना। उन्होने कहा कि साल दो साल के प्रेम के कारण अपने माता पिता के बरसों के प्रेम को लूटा मत देना। स्वामी जी ने कहा कि आज परिवार को संगठित रखना है तो दो काम हर परिवार में होना चाहिए, पहला सामूहिक भजन और दूसरा सामूहिक भोजन।
श्रीमद भागवत कथा आयोजक भूरालाल शिवनारायण धाकड़ परिवार द्वारा कथा आरम्भ होने से पूर्व श्रीमद् भावगत ग्रंथ की पूजा अर्चना के साथ व्यासपीठ पर वीराजीत श्री श्री 1008 श्री उत्तम स्वामी जी महाराज का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन पश्चिम मण्डल अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह शक्तावत ने किया।
कथा के अंत में मध्यप्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री एवं अखिल भारतीय श्री उत्तम स्वामी जी गुरू भक्त मण्डल राष्ट्रीय अध्यक्ष तपन भौमिक ने महर्षि श्री उत्तम स्वामी महाराज के जीवन परिचय से उपस्थित श्रद्धालुओं को अवगत करवाया। उन्होने बताया कि स्वामी ने अपना सम्पूर्ण जीवन नर सेवा नारायण सेवा के भाव से भारत माता की सेवा में लगाया हुआ है। उन्होने बताया कि गुरू महाराज ने करीब 150 सालों के बाद मध्यप्रदेश की पावन धरा पर लगभग 4500 किलोमीटर लम्बी श्री नर्बदा परिक्रमा का गौरव प्राप्त किया है। इस दौरान स्वामी ने करीब 162 दिनों तक लगातार सभी भक्तों को श्री नर्बदा पुराण कथा का वाचन कर सुनाकर विश्व रिकार्ड बनाया है। उन्होने बताया कि इससे पूर्व 150 वर्ष पूर्व श्री गौरीशंकर जी महाराज ने ही 12 बार इस यात्रा को किया है।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री श्रीचंद कृपलानी, पूर्व विधायक अशोक नवलखा, मध्यप्रदेश भाजपा कार्य समिति सदस्य एवं धाकड़ समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष समन्दर पटेल, भाजपा नीमच के महामंत्री हेमलता धाकड़, पूर्व जिलाध्यक्ष रतन गायरी, पंस प्रधान बगदीराम धाकड़, किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष गब्बर सिंह अहीर, उपप्रधान जगदीश चन्द्र आंजना, पूर्व सरपंच श्री सांवलिया जी जानकीदास वैष्णव, नगर मण्डल उपाध्यक्ष देवकरण समदानी, शौकिन चपलोत, काूलराम आंजना, एससी मोर्चा प्रदेश मंत्री अमर सिंह रावत, पूर्व डीप्टी शांतिलाल चौबिसा, प्रबोधचन्द्र शर्मा, शक्तिसिंह भीलवाड़ा, अध्यक्ष अशोक जाट मांगरोल, बद्रीदान चारण, विस्तारक अभिराज पाण्डे, प्रहलाद प्रजापत, दौलतराम कुमावत, गणेशदान चारण, कुलदीप चपलोत, यूएस शर्मा, अम्बालाल पाराशर, भाजयुमो पश्चिमी मण्डल के नवल किशोर गुवार, नरेंद्र प्रजापत, लोकेश जाट सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्त्री, पुरूष एवं युवा भक्तजनों मौजूद रह कर कथा का अमृतपान किया। कथा के समापन पर महाआरती के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।
आज होगा भगवान श्री कृष्ण-सुदामा मिलन, परीक्षित मोक्ष के साथ कथा का समापन
कथा आयोजक शिवनारायण धाकड़ ने श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन की जानकारी देते हुए बताया कि 8 जनवरी, रविवार को कथा वाचन में भगवान श्री कृष्ण-सुदामा मिलन, परीक्षित मोक्ष, व्रूज्ञस् पूजन, हवन पूर्णाहूति के साथ कथा विश्राम होगा। इस अवसर पर महाप्रसादी का आयोजन किया जाएगा।