उदयपुर, 12 जनवरी। विगत 41 वर्षों से स्वामी श्री रामदास जी के पावन स्मृति एवं संत श्री रामज्ञानदास महाराज की प्रेरणा से जिले के वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा जरूरतमंदों की निःशुल्क सेवा का संकल्प लगातार जारी है। इस बार निःशुल्क स्वास्थ्य कार्य करने वाला सौ सदस्यीय चिकित्सा दल 14 जनवरी को सुबह 8.30 बजे बीएन कॉलेज प्रांगण से रवाना होगा।
चिकित्सा दल प्रभारी और ख्यातनाम चिकित्सक डॉ.जे.के.छापरवाल ने बताया कि सेवा के पुनीत कार्य के लिए जाने वाले इस दल को जिला कलक्टर ताराचंद मीणा, मंदिर मण्डल नाथद्वारा के अधिकारी सुधाकर शास्त्री, मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी, पेसिफिक संस्थान के चेयरमेन आशीष अग्रवाल और आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल बतौर अतिथि हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
डॉ. छापरवाल ने बताया कि यह दल उत्तरप्रदेश के बाराबंकी के हंडियाकोल जंगल स्थित श्रीराम वन कुटीर आश्रम में जरूरतमंदों की स्वास्थ्य सेवा के लिए आयोजित होने वाले निःशुल्क चिकित्सा शिविर में रोगियों की चिकित्सा करेगा। उन्होंने बताया कि इस शिविर में 40 चिकित्सक, 60 नर्सिंग स्टाफ, 10 वैद्य, 5 तकनीशियन सहित वार्ड बॉय, आया व समाजसेवी तथा इनके अतिरिक्त कोलकत्ता, अहमदाबाद, भिवानी, दिल्ली, जयपुर, लखनऊ व हरियाणा के चिकित्सक भाग लेंगे। विगत 41 वर्षों में मोतियाबिंद, हर्निया, हाइड्रोसिस, बवासीर, गर्भाश्य अन्य में ट्यूमर आदि के कई ऑपरेशन हो चुके है। इस आश्रम में पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, पीलीभीत, फैजाबाद, गोरखपुर, वाराणसी, अमेठी, रायबरेली व समीपवर्ती राज्य बिहार के विभिन्न जिलों सहित 500 किमी परिधि क्षेत्र से रोगी उपचार हेतु आते है।
चित्तौड़गढ़ में कलक्टर पोसवाल करेंगे स्वागत:
डॉ. छापरवाल ने बताया कि उदयपुर में हरी झंडी दिखाने के बाद यह दल सुबह 11 बजे चित्तौड़गढ़ पहुंचेगा। यहां पर ईनाणी फेक्ट्री के समीप जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल दल का स्वागत करेंगे और इस दल को आगे की यात्रा के लिए रवाना करेंगे।
धातुओं के मिश्रण से निर्मित मांझे का प्रयोग नही करने का आह्वान
उदयपुर, 12 जनवरी। अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की ओर से उदयपुर वृत के सभी आमजन व विद्युत उपभोक्ताओं से मकर संक्राति पर्व पर पतंगबाजी हेतु धातुओं के मिश्रण से निर्मित मांझे का प्रयोग नही करने का आह्वान किया है।
अधिक्षण अभियंता (पवस) के.आर.मीणा ने बताया कि मकर संक्राति पर्व पर पतंगबाजी हेतु धातुओं के मिश्रण से निर्मित मांझा प्रयुक्त किया जाने लगा है। यह मांझा विभिन्न धातुओं के मिश्रण से निर्मित होने व विधुत सुचालक होने के कारण तारों के संपर्क में आने पर विधुत प्रवाह होने से पतंग उडाने वाले को भी नुकसान पहुंॅचा सकता है और विधुत आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने की भी संभावना रहती है।
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