उदयपुर, 15 फरवरी। मीरा कन्या महाविद्यालय के संगीत विभाग में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन शनिवार को प्रो. चेतना पाठक ने अपने सुरों से महाविद्यालय परिसर महकाया।
कार्यशाला की आयोजन सचिव प्रो. लाजवंती बनावत ने बताया कि प्रो पाठक ने प्रतिभागियों को उपशास्त्रीय गायन में राग भैरवी में “मोरी बईया पकड़ झकझोरी रे ठुमरी, राग पहाड़ी में “रंगी सारी गुलाबी चुनरिया” दादरा गायन शैली का प्रशिक्षण दिया साथ ही राग पुरिया कल्याण में छोटे ख्याल की बंदिश “जाग मनवा नित जाग भवसागर तोहे पार उतरना” राग बसंत में छोटा ख्याल “आई री बसंत ऋतु फूलन लागी चहूँ ओर” का भी प्रशिक्षण दिया स
कार्यशाला के दौरान प्रो. चेतना जी द्वारा सिखाई गई विभिन्न रागों की बंदिशों को प्रतिभागियों द्वारा सुना गया उनमें सुधार करवाया स साथ ही प्रतिभागियों की भिन्न भिन्न जिज्ञासाओं को एवं भ्रांतियां को दूर किया स
अंत में प्रो. चेतना पाठक ने बंदिश ठुमरी “कान्हा जा काहे रोकत डगर” ग़ज़ल “मेरी जिंदगी के राही,” दादरा “जमुना किनारे मोरा गाँव” और भैरवी राग में अपनी गुरु डॉ. प्रभा अत्रे जी द्वारा रचित भजन “ जगत जननी भवतारिणी मोहिनी तू नव दुर्गा” की प्रस्तुति देकर अपने सुरों से, गायकी से सभी का मन मोह लिया स
प्राचार्य प्रो. दीपक माहेश्वरी ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए और संगीत का महत्त्व को बताते हुए संगीत से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया प् कार्यशाला का संचालन डॉ. कौशल सोनी ने किया प् कार्यशाला में प्रो. तराना परवीन, डॉ. सुनीता आर्य, प्रो. कहानी भानावत, प्रो. मनीषा चोबीसा, प्रो. नवीन झा, डॉ. नरेन्द्र सिंह शेखावत, डॉ. नागेन्द्र श्रीमाली, डॉ. श्रुति टंडन आदि उपस्थित रहें
उपशास्त्रीय गायन में राग भैरवी का महत्व बताया प्रो. पाठक के सुरों से महका महाविद्यालय परिसर
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