उदयपुर, 15 जुलाई। शौर्य, पराक्रम की धरा एवं झीलों की नगरी लेकसिटी में हुक्मगच्छाधिपति, समरस शिरोमणि आचार्य श्री विजयराज जी म.सा., उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनि जी म.सा. आदि ठाणा ने अभ्युदय वर्षावास हेतु सोमवार को केशवनगर स्थित नवकार भवन में भव्य मंगल प्रवेश किया।
श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि सोमवार प्रातः 6 बजे आचार्य श्री, उपाध्याय प्रवर आदि ठाणा-13 ने ऋषभ भवन से विहार करते हुए कुशाल बाग से होते हुए केशवनगर स्थित नवकार भवन में भव्य मंगल पदार्पण किया। शोभायात्रा में उदयपुर श्रीसंघ के श्रावक सफेद परिधान एवं कोठी में उपस्थित हुए वहीं श्राविकाओं की निर्धारित वेशभूषा एवं केसरिया साड़ी अलग ही छटा बिखेर रही थी। शोभायात्रा में श्रावकों ने हु शि उ चौ श्री ज ग नाना विजय चमकते सूर्य समाना, मेवाड़ की माटी है चंदन विजय गुरू को शत शत वंदन आदि उद्घोष से वातावरण को गूंजायमान कर दिया। नवकार भवन पदार्पण के बाद आचार्य श्री ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को मांगलिक फरमाई। इसके बाद सभी संत-सतियां जी म.सा. प्रवचन स्थल अरिहंत वाटिका पधारे जहां सर्वप्रथम तपस्वी श्री विनोद मुनि जी म.सा. ने प्रार्थना करवाई, तत्पश्चात श्री रत्नेश मुनि जी म.सा. ने सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि चतुर बनने के चार मास के रूप में चातुर्मास प्रारम्भ होने जा रहा है, आचार्य भगवन चाहेंगे कि सभी चतुर बनें। तत्पश्चात आचार्य श्री जी ने उठो नर नारियों जागो जगाने संत आये हैं, धर्म उपदेश यह प्यारा सुनाने संत आए हैं का गान करते हुए कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, जीवन निर्वाह के लिए कृषि व जीवन निर्माण के लिए ऋषि संस्कृति जरूरी है। मेवाड़ की माटी चंदन है, यहां की हवा तप-त्याग एवं वीरता की खुशबू से महक रही है, यह गणेशाचार्य, देवेन्द्राचार्य आदि अनेक संत-सतियों की धरा है। समाज में जब भी जागृति आई या आएगी वह ऋषि-मुनियों के कारण ही संभव होगी। इस अवसर पर असम के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया ने समस्त उदयपुरवासियों की ओर से कहा कि स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि आप हमारे पावर हाउस हैं। आपकी ओजस्वी वाणी हमारे जीवन में नये उत्साह का संचार करती है। धर्मसभा में देशभर के अनेक राज्यों से गणमान्यजन उपस्थित हुए। इस अवसर पर पद्मिनी चौधरी एवं टीम ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सभा का संचालन पुष्पेन्द्र बड़ाला ने किया।