उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में चले रहे चातर्मास में प्रवचन के दौरान समता मूर्ति जयप्रभा श्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि हमारा लक्ष्य आत्म शुद्धि होना चाहिए, परंतु आत्म शुद्धि उसी का लक्ष्य हो सकता है जिसकी दृष्टि अशुद्धि पर जायेगी। व्यक्ति वस्त्र, वस्तु, शरीर आदि की शुद्धि तब ही करता है जब उसकी दृष्टि अशुद्धि पर जाती है।
साध्वी ने कहा कि कई लोग बिना आत्मशुद्धि लक्ष्य के भी धर्मानुष्ठान करते हैं परंतु उनका लक्ष्य भौतिक सुख सांसारिक सुख और वैषयिक सुख पाना रहता है। साध्वी ने कहा कि संसार में कही भी सुख नही है। लवण समुद्र की तरह खारा है यह संसार। संसार में सुख नहीं सुखाभास हो सकता है। उन्होंने कहा कि आत्मशुद्धि का लक्ष्य रखने वाला व्यक्ति ही अभय बन सकता है, अद्वेषी बन सकता है और अपने जीवन में अखेद गुण उत्पन्न कर सकता है।
लक्ष्य आत्म शुद्धि होः संयम ज्योति
