इस होली प्रकृति और पर्यावरण में नए रंग भरने का लें संकल्प – प्रो. सारंगदेवोत

होली की उमंग के साथ विद्यापीठ ने तिलक होली खेल जल संरक्षण का दिया संदेश 

उदयपुर, 12 मार्च। फाल्गुनी बयार के संग होली का रंगारंग उल्लास हर ओर बिखरने लगा है। रंगों, उमंगों और सामाजिक समरसता का यह पर्व जन-जन को जोड़ने का कार्य करता है। इसी भावना के साथ जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय में बुधवार को उत्साहपूर्ण माहौल में तिलक होली खेली गई। प्रतापनगर स्थित प्रशासनिक भवन में विद्यार्थियों और कार्यकर्ताओं ने कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के साथ पारंपरिक रूप से तिलक होली खेली और परस्पर शुभकामनाएँ दीं। रंगों के इस पावन पर्व पर जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने होली के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व रंगों और खुशियों का प्रतीक है, जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है। यह राग-रंग का पर्व बसंत ऋतु के सौंदर्य और उल्लास को चरम पर ले जाने वाला है। उन्होंने बताया कि फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे ‘फाल्गुनी’ भी कहा जाता है।
प्रो. सारंगदेवोत ने समाज से आह्वान किया कि होली का पर्व संयम और सामाजिक सौहार्द के साथ मनाएं। उन्होंने कहा, होली और धुलंडी का आनंद अपने परिवार व प्रियजनों के साथ लें, तिलक होली खेलें, जिससे जल संरक्षण होगा और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि होली हमें प्रेम, सहयोग और एकता का संदेश देती है, जिसे आत्मसात कर हमें समाज में सौहार्द बढ़ाना चाहिए।
होली के रंग, विद्यापीठ के संग : कार्यक्रम में कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, कुलसचिव डॉ. तरुण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन सहित कई गणमान्यजन उपस्थित रहे। सभी ने एक-दूसरे को तिलक लगाकर शुभकामनाएं दीं और विद्यापीठ की निरंतर उन्नति की कामना की।
इस अवसर पर प्रो.मंजू मांडोत, डॉ.मनीष श्रीमाली, डॉ.भारत सिंह देवड़ा, डॉ बबीता रशीद,
डॉ.चन्द्रेश छतलानी, डॉ.हेमंत साहू, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, भगवतीलाल श्रीमाली, डॉ. यज्ञ आमेटा, लहरनाथ, मोहन गुर्जर, डॉ. मनीषा मेहता, रजनी पी., विजय लक्ष्मी सोनी, जयप्रकाश चौबीसा, विकास डांगी, दुर्गाशंकर ,सांवरिया धाकड़, आनंद, नाथूलाल सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार तिलक होली खेली और रंगोत्सव की शुभकामनाएं दीं।
संयमित होली, समाजहित में सार्थक कदम : कार्यक्रम के दौरान जल संरक्षण एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया। विद्यापीठ परिवार ने संदेश दिया कि होली का असली आनंद पारंपरिक एवं नैसर्गिक रूप से मनाने में है। तिलक होली की परंपरा को अपनाकर हम सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों का भी निर्वहन कर सकते हैं।
सभी ने कहा, यह पर्व केवल मस्ती और आनंद का ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और संवेदनशीलता का भी प्रतीक है। विद्यापीठ परिवार की यह पहल समाज में जल संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन को प्रोत्साहित करने का एक प्रेरणादायक प्रयास है।
By Udaipurviews

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