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उप तहसील झल्लारा तहसील में क्रमोन्नत – नवीन उप तहसील बावलवाडा का भी सृजन

उप तहसील झल्लारा तहसील में क्रमोन्नत – नवीन उप तहसील बावलवाडा का भी सृजन

मुख्यमंत्री ने दी प्रस्ताव को मंजूरी जयपुर, 28 मई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने उदयपुर जिले की सलुम्बर तहसील का पुनर्गठन करते हुए उप-तहसील झल्लारा को तहसील में क्रमोन्नत करने तथा जिले के बावलवाडा (तहसील खेरवाडा) को नवीन उप तहसील बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। श्री गहलोत के इस निर्णय से लोगों को स्थानीय स्तर पर ही राजस्व कार्यों के निस्तारण में सुगमता होगी। इस प्रस्ताव के अन्तर्गत क्रमोन्नत तहसील झल्लारा में 5 भू-अभिलेख निरीक्षक वृत्त तथा 19 पटवार मण्डल व 130 राजस्व ग्राम तथा नवीन उप तहसील बावलवाडा में 2 भू-अभिलेख निरीक्षक वृत्त, 9 पटवार मण्डल व…
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Naina Somani, A Freelance artist

Naina Somani, A Freelance artist

Naina Somani, A Freelance artist : Born in Udaipur in September, 98 , Since Childhood, She was brought up in an environment that helped nurture her love for painting at a very young age. She remembers her childhood when it all began, from the colouring books which her father brought and she used to finish them in a very short span of time.Naina believes that every child has an eye for art but somewhere down the line the skill of art is considered just as a hobby and not allowed to grow, instead this skill is Stiffled in by the…
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श्रीनाथजी मंदिर ( Shrinathji Temple )

श्रीनाथजी मंदिर ( Shrinathji Temple )

श्रीनाथजी को आगरा और ग्वालियर के माध्यम से राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में लाया गया था ताकि औरंगजेब के दमनकारी शासनकाल के दौरान हो रहे हिंदू मंदिरों के व्यापक विनाश से सुरक्षा की जा सके। माना जाता है कि प्रतिमा ले जाते हुए रथ, यात्रा करते समय मेवाड़ के सिहाड़ गांव में कीचड़ में फंस गया था, और इसलिए मूर्ति की स्थापना मेवाड़ के तत्कालीन राणा की अनुमति के साथ एक मंदिर में की गई थी। धार्मिक मिथकों के अनुसार, नाथद्वारा में मंदिर का निर्माण 17 वीं शताब्दी में श्रीनाथजी द्वारा स्वयं चिन्हित किए गए स्थान पर किया गया था।…
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मेवाड़ महोत्सव (उदयपुर)

मेवाड़ महोत्सव (उदयपुर)

मेवाड़ महोत्सव उदयपुर, राजस्थान में मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। यह भारत का दूसरा जीवित सांस्कृतिक त्योहार है, जो उदयपुर में वार्षिक रुप से मनाया जाता है। मेवाड़ महोत्सव तीन दिनों तक मनाया जाता है। यह तीन दिवसीय त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत का स्वागत करता है। इस त्योहार के दौरान, गणगौर और इसार की मूर्तियों को शहर के विभिन्न भागों के माध्यम से एक जुलूस के रूप में वितरित किया जाता है। उदयपुर में भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा का नेतृत्व के साथ ही राजस्थान में मेवाड़ की सभी जीवित विरासतों की रक्षा करने…
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आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत आज उदयपुर में

आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत आज उदयपुर में

गांधी ग्राउंड में करेंगे केन्द्रीय जनजाति आवासीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ उदयपुर, 22 मई। राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष वैभव गहलोत आज उदयपुर दौरे पर रहेंगे। वे सोमवार की शाम 5 बजे शहर के गांधी ग्राउंड में खेल विभाग, राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद जयपुर एवं क्षेत्रीय खेलकूद प्रशिक्षण केन्द्र उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित केंद्रीय जनजाति प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ करेंगे।कलेक्टर ने देखी अंतिम तैयारियांजिला कलक्टर ताराचंद मीणा रविवार की शाम गांधी ग्राउण्ड पहुंचे। वहां उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन को लेकर की गई तैयारियों का जायजा लिया और आयोजन से जुड़ी विभिन्न व्यवस्थाओं के पुख्ता इंतजाम के निर्देश दिए।…
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मेवाड़ का पारंपरिक लोक नृत्य गवरी

मेवाड़ का पारंपरिक लोक नृत्य गवरी

मेवाड़ क्षेत्र में किया जाने वाला यह नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को सावन-भादो माह में किया जाता है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे ' राई नृत्य' के नाम से जाना जाता है। https://youtu.be/yGyO0mf0sn0 इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है। वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है।इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी…
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शिल्पग्राम उदयपुर (Shilpgram Udaipur)

शिल्पग्राम उदयपुर (Shilpgram Udaipur)

शिल्पग्राम उदयपुर के पशिचम में लगभग ३ किलोमीटर दूर गांव हवाला में स्थित है। लगभग 16.1500 है- भूमि क्षेत्र में फैला तथा अरावली पर्वतमालाओं के मध्य में बना शिल्पग्राम पशिचम क्षेत्र के ग्रामीण तथा आदिम संस्कृति एवं जीवन शैली को दर्शाने वाला एक जीवन्त संग्रहालय है। यह आदिवासी लोक कला एवं सभ्यता-संस्कृति का संग्रहालय है, जहां लोक जीवन के प्रतीकों को कलात्मकता से प्रदर्शित किया गया है। शिल्पग्राम में एक भव्य मुक्ताकाशी रंगमंच आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। दो चट्टानों के मध्य आयताकार एवं अर्धचंद्राकार बने इस रंगमंच पर सदस्य राज्यों के लोक कलाकार अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।…
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महाकालेश्वर मंदिर उदयपुर ( Mahakaleshwar Temple Udaipur )

महाकालेश्वर मंदिर उदयपुर ( Mahakaleshwar Temple Udaipur )

महाकालेश्वर मंदिर उदयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह फतेह सागर झील के पास, पन्ना विलास के सामने एक शानदार बैकग्रॉउंड के साथ स्थित है। मंदिर भगवान शिव (महाकाल) को समर्पित है और माना जाता है कि यह 900 वर्ष से अधिक पुराना है। लोककथाओं के अनुसार, लोकप्रिय संत और भगवान शिव भक्त गुरु गोरखनाथ ने इस धार्मिक स्थल पर पूजा की थी। इस खूबसूरत नक्काशीदार मंदिर के मुख्य मंदिर में काले पत्थर का शिवलिंग है। मंदिर में प्रतिदिन आरती की जाती है, लेकिन रुद्राभिषेक आरती मुख्य आकर्षण है, जो बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करती है।…
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एकलिंगजी मंदिर उदयपुर  ( Eklingji Temple Udaipur)

एकलिंगजी मंदिर उदयपुर ( Eklingji Temple Udaipur)

एकलिंग राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एक मंदिर परिसर है। यह स्थान उदयपुर से लगभग १८ किमी उत्तर में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। वैसे उक्त स्थान का नाम 'कैलाशपुरी' है परन्तु यहाँ एकलिंग का भव्य मंदिर होने के कारण इसको एकलिंग जी के नाम से पुकारा जाने लगा। भगवान शिव श्री एकलिंग महादेव रूप में मेवाड़ राज्य के महाराणाओं तथा अन्य राजपूतो कुल देवता हैं।मान्यता है कि यहाँ में राजा तो उनके प्रतिनिधि मात्र रूप से शासन किया करते हैं। इसी कारण उदयपुर के महाराणा को दीवाण जी कहा जाता है।ये राजा किसी भी युद्ध पर जाने…
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जगदीश मंदिर उदयपुर  -(Jagdish Temple Udaipur)

जगदीश मंदिर उदयपुर -(Jagdish Temple Udaipur)

जगदीश मंदिर उदयपुर के मध्य में स्थित एक विशाल मंदिर है। इसका निर्माण १६५१ में समाप्त हुआ। उदयपुर में यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।यह मंदिर मारू-गुजराना स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें विष्णु की मूर्त्ति स्थापित है। यह उदयपुर में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।इस मंदिर का शिखर लगभग 79 फीट लंबा है और इसे आप दूर से आसानी से भी देख सकते हैं। मुख्य मंदिर में काले पत्थर में भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली मूर्ती है और इसके चारों ओर चार छोटे मंदिर भी मौजूद हैं।
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