महाकाल मंदिर प्रकरण: हाईकोर्ट के एफआईआर रद करने पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

उदयपुर, 28 जनवरी। शहर के महाकालेश्वर मंदिर गर्भगृह में बलपूर्वक चांदी के दानपात्र को काटकर व रेलिंग से कूदकर नंदी पर पैर रखकर तोड़फोड़ कर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा रद करने के खिलाफ पेश विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
न्यास सचिव एडवोकेट चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में तोड़फोड़ के मामले में असामाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस प्रशासन द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने पर उच्च न्यायालय जोधपुर में मंदिर ट्रस्ट की ओर से रिट याचिका पेश की गई थी जिस पर हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद ट्रस्ट द्वारा पेश प्रतिवेदन पर संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों द्वज्ञरा एफआईआर दर्ज नहीं करने पर उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की पालना न करने पर जिला प्रशासनिक अधिकारी को न्यायालय आदेश की अवमानना के लिए नोटिस जारी किए गए। मंदिर प्रशासक दीक्षा भार्गव ने बताया कि तोड़फोड़ मामले में मंदिर ट्रस्ट द्वारा दी गई रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं कर दस दिन बाद अंबामाता थाने के उपनिरीक्षक राजीव शर्मा की रिपोर्ट पर 10 मई 2024 को एफआईआर दर्ज की गई जिसमें आरोपी सपना निमावत ने उच्च न्यायालय जोधपुर में एफआईआर रद करने की याचिका पेश की जिस पर जोधपुर पीठ द्वारा उक्त एफआईआर को रद कर दिया। रिट याचिका में मंदिर ट्रस्ट पक्षकार नहीं थे उसके बावजूद ट्रस्ट पदाधिकारियों के खिलाफ न्यायालय द्वारा लगाए गए आक्षेप के विरुद्ध मंदिर ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय दिल्ली ने संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. बलरामसिंह व न्यास अधिवक्ता डॉ. प्रिया रावल की बहस सुनने के बाद राज्य सरकार उपनिरीक्षक राजीव शर्मा व सपना निमावत को नोटिस करने के आदेश पारित किए। मन्दिर ट्रस्ट की ओर से पूर्व में 24 जनवरी को मन्दिर ट्रस्ट की ओर से एक अन्य याचिका सर्वोच्च न्यायालय में प्रशासनिक अधिकारीयों के विरूद्ध प्रस्तुत की गई थी जिसमें मन्दिर परिसर भूमि पर अशांति फैलाने वालो व मन्दिर पर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने वालों के विरूद्ध प्रशासनिक अधिकारियों को मन्दिर ट्रस्ट की ओर से प्रतिवेदन प्रस्तुत करने पर उसका समाधान किये जाने के आदेश भी दिए गए।
न्यास के अधिवक्ता सुरेश नागौरी ने बताया कि मन्दिर परिसर में किसी भी धर्म समाज के व्यक्ति व भक्तजन को आने से मन्दिर ट्रस्ट द्वारा नहीं रोका जाता है। निज गर्भ गृह में मन्दिर शिवलिंग जो अति प्राचीन होकर 900 वर्ष नगर स्थापना से भी पूर्व स्वयंभू शिवलिंग है जिसकी सुरक्षा एवं संरक्षण करने हेतु मन्दिर ट्रस्ट की ओर से विगत लम्बे समय से गर्भगृह में प्रवेश आमजन का पूर्णरूप से वर्जित किया हुआ है तथा मन्दिर गर्भगृह में सहयोग परंपरा अनुसार त्रिकाल पूजा वेदिक परंपरा के अनुसार की जाती है तथा आम भक्तजन की सुरक्षा एवं जनभावना को ध्यान में रखते हुए मन्दिर सभागार में जलाभिषेक की विशेष व्यवस्था की हुई है तथा सभागार में आम भक्तजन के लिये नर्बदेश्वर शिवलिंग की विशेष रूप से स्थापना कर रखी है जहां सभी भक्तजन अपनी पूर्ण श्रद्धा व आस्था से जलाभिषेक व पूजाअर्चन करते है। उच्च न्यायालय जोधपुर जिसमें मन्दिर ट्रस्ट पक्षकार नहीं था तथा ना ही मन्दिर ट्रस्ट की ओर से कोई भी पैरवी हेतु उपस्थित हुआ उसके पश्चात ट्रस्ट व ट्रस्ट पदाधिकारी के विरूद्ध जो आक्षेप उक्त निर्णय में किये गये जिसके विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत विशेष अनुमति याचिका में पक्षकारों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गये। जिसकी पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ बलराम सिंह के द्वारा प्रभावी तौर पर जनहित में की जा रही है।

By Udaipurviews

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