सुखाड़िया विश्वविद्यालय: केन्द्रीय दर्जे की ओर बढ़ता कदम

एक दिवसीय कार्यशाला में कुलपति ने कर्मचारियों को प्रेरित किया, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अग्रणी भूमिका पर चर्चा

उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने एक दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से न केवल समय, तनाव, और प्रबंधन के महत्व पर विचार विमर्श किया, बल्कि भविष्य की दिशा भी स्पष्ट की। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहा, “सुखाड़िया विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सभी मापदण्डों को पूरा करता है और इसे केन्द्रीय दर्जा दिलाने के लिए प्रयास जारी हैं।”

कर्मचारियों को प्रेरणा और जिम्मेदारी का आह्वान : कार्यशाला में कुलपति ने कर्मचारियों को निष्ठा, समय प्रबंधन और तत्परता के साथ कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल कार्यान्वयन और छात्रों के प्रमाण पत्र एनएडी पर अपलोड करने में सुखाड़िया विश्वविद्यालय राज्य में अग्रणी है।

कार्यशाला का उद्देश्य और मार्गदर्शन : कार्यशाला की शुरुआत परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेश चन्द्र कुमावत द्वारा अतिथियों के स्वागत और उद्देश्यों पर प्रकाश डालने से हुई। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में तनाव और समय प्रबंधन की आवश्यकता को समझना और व्यावहारिक जीवन में इसे अपनाना अनिवार्य हो गया है।

विशिष्ट वक्ताओं के विचार : कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रो. आनंद पालीवाल ने जीवन के विभिन्न पहलुओं—परिवार, करियर और तनाव—में सामंजस्य बनाने के व्यावहारिक उपायों पर चर्चा की।
मुख्य वक्ता डॉ. सुरेन्द्र छंगानी ने समय, तनाव, और प्रबंधन की वास्तविकता और इसे सही दिशा में ले जाने के उपायों पर गहन जानकारी दी।

शैक्षणिक प्रशासन में कर्मचारियों की भूमिका : कुलसचिव डॉ. वी.सी. गर्ग ने कहा कि विश्वविद्यालय की चुनौतियों का समाधान करने में शैक्षणिक कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी कर्मचारियों से निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करने का आग्रह किया।

उपस्थिति और समापन : कार्यशाला में लगभग 140 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ लेखाधिकारी डॉ. जी.एल. वसीटा, प्रोग्रामर डॉ. एन.के. पारीख, सहायक कुलसचिव मांगीलाल भील सहित कई अन्य शामिल थे। कार्यशाला का समापन उपकुलसचिव डॉ. मुकेश बारबर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

यह कार्यशाला न केवल कर्मचारियों के कौशल को निखारने का मंच बनी, बल्कि विश्वविद्यालय को केन्द्रीय दर्जा दिलाने के लिए एक सकारात्मक कदम भी साबित हुई।

By Udaipurviews

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