उदयपुर 23 जनवरी। आलोक संस्थान, हिरण मगरी सेक्टर-11 में सुभाष चंद्र बोस की जयंति पराक्रम दिवस के रूप मे मनाई गयी। मुख्य अतिथि आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत थे। विषिश्ट अतिथि रोशन गोयल थे।
इस अवसर पर डॉ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में सुभाष चंद्र बोस के योगदान का कोई सानी नहीं है। वे एक साहसी और स्वतंत्रता के प्रति अति उत्साहित नेता थे। सुभाष चंद्र बोस श्रीमद्भगवदगीता से गहराई से प्रेरित रहे थे, इसी कारण स्वतंत्रता, समानता, राष्ट्रभक्ति के लिए उनके संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता।
डॉ. कुमावत ने कहा कि नेता जी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था। मातृभूमि को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए उन्होंने अपनी सेना ‘‘आजाद हिंद फौज’’ बनाने का रास्ता चुना। राष्ट्रभक्ति एवं स्वतंत्रता का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए बर्लिन में फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना और आजाद हिंद रेडियो की शुरुआत कर सवतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया। इसमें अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, बंगाली, पश्तो, तमिल, फारसी और तेलुगु में प्रसारित समाचार बुलेटिन व स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए गए। इसी तरह, आजादी प्राप्ति की मुहिम को तेज करने के लिए यूरोप में भारतीय सेना का गठन किया गया।
बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशो की सरकारों ने मान्यता दी थी। जापान ने अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह इस अस्थायी सरकार को दे दिए। सुभाष उन द्वीपों में गए और उनका नया नामकरण किया।
इस अवसर पर आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत, रोशन गोयल, प्राचार्य शशांक टांक, एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर प्रतीक कुमावत, प्रशांत व्यास सहित सभी ने पुश्पांजलि अर्पित की।