उदयपुर, 15 फरवरी। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के अंतर्गत सामुदायिक वन अधिकार प्रदान करने के कार्य में गति लाने एवं सभी पात्र राजस्व ग्रामों को सामुदायिक वन अधिकार का हक प्रदान करने हेतु 1 मार्च 2023 से 30 जून, 2023 तक विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त एवं संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट ने बताया कि सामुदायिक वन अधिकार के कार्य में अपेक्षित प्रगति नहीं होने की स्थिति को देखते हुए यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस संबंध में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल और जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव आलोक गुप्ता, संयुक्त हस्ताक्षर से सामुदायिक वन अधिकार अभियान के लिए विस्तृत मार्गदर्शिका जारी की गयी है।
उन्होंने बताया कि इसमें वन क्षेत्रों के निकट स्थित सभी राजस्व ग्रामों को सामुदायिक वन अधिकार प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है एवं सभी जिला कलक्टर्स को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं कि वे वन विभाग, पंचायती राज विभाग एवं राजस्व विभाग के संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए अधिनियम की भावना अनुरूप अधिक से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र जारी करने का कार्य संपादित करावें। उन्होंने अभियान हेतु विशेष कैंप का कैलेंडर तैयार कर जारी करने एवं नियमित रूप से उपखण्ड स्तरीय एवं जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक आयोजित करने के साथ ही पूर्व के सभी निरस्त एवं लंबित प्रकरण की पुनर्समीक्षा के लिए भी निर्देश दिये गये हैं।
उल्लेखनीय है कि वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत सामुदायिक अधिभोग के अधीन वन भूमि के विस्तार के रूप में, गौण उत्पादों का संग्रहण एवं उपयोग, मछली एवं जलाशयों के अन्य उत्पाद, चारागाह के उपयोग, सामुदायिक संसाधनों का संरक्षण एवं प्रबंधन इत्यादि अधिकार दिये जाते हैं। वनाधिकार अधिनियम की 3(2) के अंतर्गत सामुदायिक सुविधाओं जैसे विद्यालय, अस्पताल, आंगनबाड़ी, उचित मूल्य की दुकानें, विद्युत एवं दूरसंचार की लाईनें, टंकियां, जलाशय, पेयजल आपूर्ति योजना, लघु सिंचाई नहरें, कौशल उन्नयन केन्द्र, सड़कें एवं सामुदायिक केंद्रों के लिए भी 1 हेक्टेयर की सीमा तक वन भूमि का अधिकार दिया जाता है।