‘आनंदम’ की भावपूर्ण प्रस्तुति ने शिल्पग्राम की फिजा को बनाया शास्त्रीय  

-प्रिया के भरतनाट्यम का साक्षी बना मेवाड़ का मुक्ताकाशी मंच
उदयपुर। यहां ‘शिल्पग्राम उत्सव’ के चौथे दिन  रविवार को मुक्ताकाशी मंच विश्व प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना और उनके सिद्धहस्त नृत्यांगनाओं के ग्रुप की शानदार प्रस्तुति का साक्षी बना। महज सात साल की उम्र में भरतनाट्यम का कड़ा प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली प्रिया वेंकटरमन ने न सिर्फ अपनी, बल्कि पूरे ग्रुप की परफोरमेंस को नई ऊंचाइयां प्रदान कर नृत्यांगना के रूप में अपने कद का अहसास करा दिया।
नृत्य दीक्षा संस्था के इस क्लासिकल डांसर्स ग्रुप ने प्रिया के नेतृत्व और निर्देशन में ‘आनंदम’ के अंतर्गत जब ‘आनंद नटम‌‌ प्रकाशन’ में जब नटराज शिव की आराधना की तो सुर, संगीत और स्तुति ने मानो शिव को साक्षात साकार होकर आशीर्वाद देने बुला दिया। इस नृत्य की लयकारी, ताल और नृत्य की महारत के मेल ने क्लासिकल के जानकार दर्शकों को तो रिझाया ही, शास्त्रीय नृत्यों की समझ नहीं रखने वाल सामयीन को भी दांतों तले अंगुली दबाने और वाह-वाह करने को विवश कर दिया।
जब प्रिया सहित साथी नृत्यांगनाओं ने ‘तिल्लाना’ यानी ‘तराना’ की परफोरमेंस दी तो कला प्रेमी उसकी लयबद्धता और सुपर संगत के कायल हो गए। इस शुद्ध भरतनाट्यम में प्रिया के साथ ही तमाम डांसर्स का बेजोड़ सामंजस्य और भावभंगिमाओं ने ऐसा समां बांधा कि दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से आसमान गूंजा दिया।
मुथ्थू स्वामी दिक्सितार की संगीतबद्ध इन दोनों प्रस्तुतियों में भरतनाट्यम के प्रमुख तत्व नृत्य, संगीत और नाट्य का अनूठा और शानदार संयोजन इसे उदयपुर और मरुधरा के लिए अविस्मरणीय बना गया।

प्रिया के साथ रहीं ये नृत्यांगनाएं-
राधिका सेन गुप्ता, सिरिशा सरकार, श्रेया अभिराम शेखर, मधिनी सुब्रह्मण्यम और आस्था रंगा।
क्या है भरतनाट्यम-
आमतौर पर यह मिथ है कि भरतनाट्यम को ‘भारत नाट्यम’ यानी भारत की नृत्य नाटिका है। ऐसा कतई नहीं है। दरअसल, भरतनाट्यम में एक-एक शब्द का गहरा अर्थ है, इसमें भ- भाव या अभिव्यक्ति, राग-संगीत, ताल-लयबद्ध पैटर्न और नाट्यम का अर्थ नृत्य होता है। भरतनाट्यम् या सधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है। इसके जनक राजा राजेन्द्र चोळा हैं, जो तमिलनाडु में लगभग 1000 ईसा पूर्व में शासन करते थे।

मोहिनी अट्टम में जया के यशोधरा रूप ने किया अभिभूत-मोहिनी अट्टम की विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना जया प्रभा मेनन ने रविवार को जब सोलो परफॉर्मेंस दी तो यहां शिल्पग्राम उत्सव के दौरान मुक्ताकाशी मंच के हजारों दर्शकों के जेहन में महात्मा गौतम बुद्ध की कहानी उबर आई। अनिध्य रूप-सौंदर्य की प्रतिमूर्ति बनीं जया ने इस नृत्य में बुद्ध की पत्नी यशोधरा की भावनाओं को इतनी खूबसूरती से अपने बेजोड़ अभिनय से उकेरा मानो स्वयं यशोधरा मंच पर उतर आई हो। केरल के इस देवताओं को समर्पित शास्त्रीय नृत्य की गुरु जया प्रभा मेनन की भाव भंगिमाओं, लय और ताल के साथ सुंदर सामंजस्य ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया। सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने यह नृत्य सजीव गायन यानी लाइव सॉन्ग पर किया। इस प्रस्तुति से पूर्व गणेश वंदना की गई।
इस परफोरमेंस के दौरान जया और उनके ग्रुप की अन्य नृत्यांगनाओं ने गणेंश वंदन और पंदाट्टम में गीत, संगीत और स्टेप्स की शानदार संगत का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही लूटी।

क्या है मोहिनीअट्टम नृत्य—मोहिनीअट्टम नृत्य शब्द मोहिनी के नाम से बना है। मोहिनी रूप भगवान विष्णु ने बुरी शक्तियों यानी राक्षसों और दैत्यों पर अच्छी शक्तियों की जीत के लिए धारण किया था। वर्तमान में मोहिनीअट्टम केरल की एक एकल नृत्य परंपरा है, जिसे प्रकृति नामक एक युवती ने, नृत्य और संगीत के माध्यम से स्वयं को मंदिर के देवता को समर्पित करने के लिए किया था। इसका एक रूप यह मंदिर की परिसीमा के अंदर, देवदासियों की परंपरा से जुड़कर, मंदिर अनुष्ठान के रूप में भी विकसित हुआ।

केरल की ही नृत्य नाटिका कथकली ने साकार की महाभारत…
मंच पर साक्षात हुआ भगवान श्रीकृष्ण का विराट रूप
—नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर कथकली की प्रस्तुति
उदयपुर। महाभारत के महायुद्ध को नहीं होने देने के उदृेश्य से श्रीकृष्ण के पांडवों के दूत बनकर कौरवों के पास जाने के शांति मिशन की असफलता के बाद, कौरवों—पांडवों की सेनाएं कुरुक्षेत्र में आमने सामने खड़ी हैं। सामने सभी बड़ों और गुरु को देख मोहपाश में फंसा अर्जुन श्रीकृष्ण से पूछता है कि अपने ही रिश्तेदारों को मारकर युद्ध जीतने से क्या लाभ! सोचता है लौट जाएं।
श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि एक क्षत्रिय के रूप में उसे धर्म के लिए युद्ध करना है। मौत और हत्या को सही परिप्रेक्ष्य में समझना होगा। आत्मा मरती नहीं है, यह केवल शरीर को छोड़ती है, ठीक उसी तरह से जैसे कि नए कपड़े पुराने को छोड़कर पहने जाते हैं। अर्जुन में साहस और आत्मविश्वास भरने के लिए, भगवान कृष्ण अपना विराट रूप दिखाते हैं।अर्जुन देखता है कि भगवान के विराट रूप का न आरंभ, ना अंत है। वह सत्य को पूर्ण मात्रा में देखता है। इस सत्य के साक्षात दर्शन के बाद अर्जुन मोह मुक्त हो युद्ध के लिए तैयार हो जाता है। नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर कथकली की नृत्य नाटिका ‘गीतोपदेशम’ की प्रस्तुति का में यह दृश्य यहां शिल्पग्राम उत्सव के दौरान मुक्ताकाशी मंच पर महाभारत कथा को जीवंत कर गया। यह वृहद आयोजन पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से किया जा रहा है।

रौद्र भीम ने दुशासन के लहू से धोए द्रौपदी के केश—इसी नृत्य नाटिक के अंतर्गत द्रौपदी की प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण से विशेष शक्तियां प्राप्त कर  रौद्र भीम के रूप में कुरुक्षेत्र में दुशासन को मारने के बाद उसका लहू पीता है और द्रौपदी को वहीं बुलाकर उसके केश उस खून से धोकर उसके केश बांधता है। इतने भयंकर अमानवीय प्रतिशोध के लिए भीम कृष्ण से क्षमा मांगता है। ज्ञीकृष्ण उसे क्षमा कर आशीर्वाद देते हैं।

सामूहिक शास्त्रीय पेशकश ने मोहा—अंत में कथकली, भरतनाट्यम और मोहिनी अट्टम के डांसर्स ने मिलकर एक सामूहिक नृत्य पेश किया। इसमें तीनों अलग विधाओं के नृत्य होने के बावजूद जो बेहतरीन तालमेल देखा गया, वह काकाबिले तारीफ रहा। इस प्रस्तुति के बाद तीनों दलों को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की निदेशक किरण सोनी गुप्ता और अन्य अतिथियों ने पोर्टफोलियो दे शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

गुजरात दिवस पर रही गरबों और अन्य नृत्यों की धूम—उदयपुर। शिल्पग्राम उत्सव के अंतर्गत रविवार को मंच पर गुजरात दिवस गरबों की धुनों और शानदार नृत्यों के साथ मनाया गया। इस दौरान गुजराती गरबा—डांडिया के विभिन्न रूपों ने जहां दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस गुजराती लोक संस्कृति के साकार करती प्रस्तुति के दौरान प्राचीन यानी परंपरागत गरबा, झालावारी गरबा, डांग नृत्य, अर्वाचीन गरबा, ढाल तलवार रास, सिद्धि धमाल और जय जय गरवी गुजरात के सुपर फ्यूजन ने दर्शकों का दिल जीत लिया। अंत में सभी कलाकारों को पोर्टफोलिया देने के साथ ही शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

फड़ महिला कार्यशाला—शालिग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच के पास फड़ महिला कार्यशाला में 30 महिलाएं भाग लेकर अपनी कला का प्रदर्शन करने के साथ ही उसमें निखार ला रही हैं। इन्हें छीतरमल जोशी और हेमंत जोशी प्रशिक्षण दे रहे हैं।

By Udaipurviews

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