अतीत की चिंता, भविष्य की कल्पना छोड़ वर्तमान में जियेंगे तो नहीं आएगा तनाव : संत श्री विनोद मुनि
मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशाला
उदयपुर, 13 नवम्बर। तनावमुक्ति का सबसे सरल उपाय है वर्तमान में जीना है, तनाव का मुख्य कारण ही अतीत की चिंता या भविष्य की कल्पना है यदि कोई भी व्यक्ति यह छोड़ सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दे केवल अपने वर्तमान को जिए तो किसी भी प्रकार का तनाव नहीं होगा
यह बात आचार्य श्री विजयराज जी के शिष्य संत श्री विनोद मुनि ने भोपालपुरा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक कन्या विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य कार्यशाला में कही।
विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बढ़ाया जाय किस प्रकार तनाव और नकारात्मकता के भाव को कम किया जाएँ एवं मानसिक एवं व्यवहारिक परामर्श संत श्री विनोद मुनि द्वारा विद्यार्थियों को दिया जा रहा है, इसी क्रम में सोमवार को गुरु गोविन्द सिंह विद्यालय, मंगलवार को रेजीडेंसी विद्यालय एवं बुधवार को भोपालपुरा विद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उल्लेखनीय है कि आचार्य श्री विजयराज जी की प्रेरणा से कार्य कर रही सुसाइड फ्री यूनिवर्स (एसएफयु) संकल्प समिति वर्ष 2022 से कार्य कर रही है, अब तक 10 लाख से आत्महत्या नहीं करने का सकंल्प करवाया है और 60 हज़ार से अधिक विद्यार्थियों की काउन्सलिंग की है।
श्री विनोद मुनि ने बताया कि आजकल विद्यार्थी मानसिक तनाव से अधिक जूझ रहे हैं। करियर व पढ़ाई के बोझ से वे डिप्रेशन जैसी कई मानसिक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, सोशल मीडिया और गेम्स की अत्यधिकता के कारण सेल्फ हार्मिंग बिहेवियर के शिकार भी हो रहे हैं। ऐसे में विद्यार्थी वर्ग को काउन्सलिंग की बहुत आवश्यकता है।
किशोर होने पर बच्चों में शारीरिक के साथ मानसिक परेशानी बढ़ती है, लेकिन अभिभावक शारीरिक परेशानी होने पर बच्चों को मदद कर रहे हैं, मानसिक परेशानी को अभिभावक दरकिनार कर देते हैं। ऐसे मानसिक तौर पर भी बच्चों को समझना होगा। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और रहन-सहन में बदलाव किशोर-किशोरियों युवाओं को तेजी से प्रभावित कर रहा है। पढ़ाई के साथ खुद को श्रेष्ठ दिखाने के चक्कर में युवा सेल्फ हार्मिंग बिहेवियर के शिकार हो रहे हैं। इस बिहेवियर के अंतर्गत किशोर अथवा युवा खुद को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है।
कार्यशाला के अंत मे शंका-समाधान एवं प्रश्नोत्तरी का सत्र हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी शंकाओं का समाधान जाना इसके बाद प्रश्नोत्तरी सत्र हुआ जिसमें विद्यार्थियों से प्रश्न पूछे गए, सही उत्तर देने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार दिया गया।
कार्यशाला में संस्थान के संरक्षक नरेंद्र हिंगड़ एवं मोती फाउंडेशन के अध्यक्ष, एजुकेशन काउंसलर विकास छाजेड़ ने भी विद्यार्थियों के समक्ष विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में संस्था प्रधान रंजना मिश्रा, प्रीती शर्मा, अध्यापिका इंदिरा करताल एवं विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे, श्रमण संस्कृति की संपादक डॉ. हंसा हिंगड़, समिति के अजय मेहता, प्रेमलता मेहता आदि उपस्थित रहे।