कहा—स्कूली स्तर पर खेलों में रुचि से देश को मिल रही नई प्रतिभाएं
उदयपुर : भारत की रनिंग क्वीन हरमिलन बैंस शनिवार को उदयपुर आईं। वह यहां चित्रकूटनगर स्थित एक स्कूल के बच्चों से मिलीं और उनसे खुलकर बातचीत की। खेल के प्रति बच्चों में बढ़ती रुचि को देखकर हरमिलन ने खुशी जताई और कहा कि मौजूदा दौर में स्कूली स्तर पर बच्चों की खेल रुचि को बढ़ावा दिए जाने से उनमें आगे बढ़ने की ललक जागती है और देश को भी नई प्रतिभाएं मिलती हैं। यही कारण कि हर खेल में भारत दुनिया में बेहतर कर रहा है। खासकर एथलेटिक्स में। भारत में कई खिलाड़ी विश्व चैम्पियन बन रहे हैं।
इंजीनियर या साइंटिस्ट बनना चाहती थी
एथलीट परिवार से होने के बावजूद हरमिलन इंजीनियर या साइंटिस्ट बनना चाहती थीं। पढ़ने में काफी अच्छी थी लेकिन परिवार के लोग चाहते थे कि वह धावक बने। परिवार के सभी सदस्य उससे यही उम्मीद कर रहे थे कि वह बेहतर एथलिट बने। इसका एक बड़ा कारण यह भी था कि उसके माता—पिता दोनों भारतीय टीम में प्रतिनिधित्व कर चुके थे। इसलिए उससे कभी नहीं पूछा गया कि वह क्या बनना चाहती? उसकी इच्छा के विरूद्ध उसे रनिंग की ओर धकेल दिया लेकिन उसने माता—पिता की उम्मीदों को जिंदा रखा और खुशियां बिखेरीं।
एशियाई खेल में दो रजत जीते
पंजाब होशियारपुर के माहिलपुर कस्बे की हरमिलन ने हाल ही एशियाई खेलों में भाग लेते हुए 800 मीटर और 1500 मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीते। हरमिलन एशियाई खेल के इस संस्कारण में दो स्पर्द्धाओं में क्वालीफाई करने वाली भारत की इकलौती महिला एथलीट रहीं।
माता—पिता भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट
हरमिलन की मां माधुरी सिंह और पिता अमनदीप सिंह भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट रह चुके हैं। उनकी मां माधुरी साल 2002 में बुसान एशियाई गेम्स में 800 मीटर दौड़ में रजत पदक जीत चुकी हैं। इसके बाद वह सल 2004 में पाकिस्तान में आयोजित एसएएफ खेला में 1500 मीटर और 800 मीटर में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। जबकि उसके पिता अमनदीप सिंह भी एथलीट थे और 1996 में साउथ एशियन फेडरेशन खेलों में 1500 मीटर की दौड़ में रजत पदक विजेता रहे।