उदयपुर।ं श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ की ओर से सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में चल रहे चातुर्मास में आज अमृतमुनि महाराज द्वारा लिखित अंतगड़ सूत्र ग्रन्थ का विमोचन किया गया।
डॉ वरुण मुनि ने बताया कि प्रवचन सभा में उपप्रवर्तक अमृत मुनि महाराज की 55 वीं पुस्तक श्री अंतगड सूत्र का प्रकाशन महेंद्र कांकरिया द्वारा तथा विमोचन महेंद्र चंद्रा सिंघी दिल्ली द्वारा किया गया। इस ग्रंथ का परिचय देते हुए डॉ वरुण मुनि ने बताया कि यह आगम शास्त्र 11 अंग आगमों में 8 वां अंग आगम है। इसमें 90 महान आत्म साधकों का विशिष्ट रोचक आख्यान है। विशेष रूप से यह आगम तपस्या से संदर्भित होने से तप आगम कहलाता है परंतु संपूर्ण वांग्मय के चिंतन करने से यह आगम तप, ध्यान, ज्ञानार्जन, क्षमा, ओजस्विता आदि युक्त होने सर्वग्राह्य और परम ज्ञान से समन्वित है। इस शास्त्र में उम्र के अंतिम क्षणों में ही केवलज्ञान उत्पादन करके मोक्ष जाने वाले 90 भव्यात्माओं का वर्णन होने से अंतकृत- अंतगड नामकरण है। अन्तकृत दशा – सूत्र का शब्दार्थ भी यही है कि भव परम्परा का अन्त करने वाली आत्माओं की दशा, स्थिति, अवस्था तथा उनकी साधना का वर्णन करने वाला आगम – अन्तकृत दशा सूत्र है। अन्तकृत दशा सूत्र में भव-परम्परा का उच्छेद करके निर्वाण प्राप्त करने वाले 90 साधकों की कठोर साधना, तपश्चर्या और ध्यान-योग की साधना का रोमांचक वर्णन है। वर्तमान में इस ग्रंथ के मुख्य आठ वर्ग है और आठ वर्ग के 90 अध्ययन है। जिसमें 22 वें तीर्थंकर अरिष्टनेमी भगवान के शासन गत 51 जीवों का विशद वर्णन होने के पश्चात 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के शासन के 39 जीवों का अभूतपूर्व वर्णन है। राजा, राजकुमार, राजरानियां, श्रेष्टिपुत्र, मालाकार एवं बाल, युवक, प्रौढ़ तथा वृद्ध आदि अनेक उम्र के तप, संयम, अध्ययन, आत्मदमन, क्षमाभाव, ध्यान आदि आदर्श सद्गुणों से युक्त वैराग्यमय जीवन का अप्रतिम वृतांत इस सूत्र में अंकित है। महेंद्र सिघवी एवं चंदा सिंघवी का वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से संतों के सानिध्य में स्वागत अभिनंदन किया गया।