उदयपुर, 8 नवंबर. नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन की उदयपुर इकाई की ओर से आमजन में अंगदान के महत्व एवं जागरूकता के लिए रविवार 10 नवंबर को प्रातः 6 बजे फतेहसागर की पाल पर वॉक का आयोजन किया जाएगा। एनएमओ अध्यक्ष डॉ. राहुल जैन ने इस आयोजन में हर वर्ग को अपनी भागीदारी निभाने का आह्वान किया है। जैन ने बताया कि भारत में हर साल 17,000-18,000 ठोस अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं, जो अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। पिछले पांच से छह दशकों में भारत में अंग प्रत्यारोपण, विशेष रूप से नेफ्रोलॉजी में हुई प्रगति है।
उन्होंने बताया कि भारत में प्रत्यारोपण ने एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन पुरानी बीमारी से पीड़ित लोगों की बड़ी संख्या के कारण पहुंच और उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसलिए, अंग प्रत्यारोपण का एक महत्वपूर्ण घटक पुरानी बीमारी की रोकथाम और उसका जल्दी पता लगाना है। मृतक अंगदान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के अलावा अंगदान के कानूनी और नैतिक पहलुओं पर निरंतर संवाद की आवश्यकता है।
एनएमओ सचिव डॉ. कुवर आकाश सिंह ने बताया किअंगदान ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति (जीवित या मृत, दोनों) से स्वस्थ अंगों को लेकर किसी अन्य ज़रूरतमंद व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। प्रत्यारोपित होने वाले अंगों में दोनों गुर्दे (किडनी), यकृत (लीवर), ह््रदय, फेफड़े, आंत और अग्न्याशय शामिल होते हैं। जबकि ऊतकों के रूप में कॉर्निया, त्वचा, ह््रदय वाल्व कार्टिलेज, हड्डियों और वेसेल्स का प्रत्यारोपण होता है। जीवित व्यक्ति के लिये अंगदान के समय न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है। कॉर्निया, हृदय वाल्व, हड्डी और त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के पश्चात् दान किया जा सकता है, परंतु हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेन डेड के मामले में ही दान किया जा सकता है। कार्डियक डेथ अर्थात प्राकृतिक रूप से मरने वाले का सामान्यतः नेत्र (कॉर्निया) दान किया जा सकता है।