सकारात्मक सोच और ज्ञान परम्परा सफलता का आधार – कर्नल प्रो. सारंगदेवोत 

विद्यापीठ – 15 दिवसीय दीक्षारंभ कार्यक्रम का हुआ आगाज
उदयपुर 17 अक्टुबर / भारत अपनी ज्ञान परंपरा से ही विश्व गुरू बना न कि केवल भौतिक विकास के आधार पर नहीं, छात्रों को आद्यात्मिक विकास के साथ जीवन के लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए, कड़ी मेहनत से आदर्श शिक्षक बनने का प्रयास करें। साथ ही अपनी सोच को परिष्कृत करके, आदर्शों को अपनाकर , सकारात्मक सोच के साथ अपने सपनों को पूर्ण करने का प्रयास करे। अपनी विकास यात्रा में समझौता करने और नकारात्मक से बचे। तकनीकी ज्ञान और नवाचारों से जुड़ कर शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये सार्थक प्रयासों को करना और परिवर्तनो को अपनाना जीवन को सफल बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।। ये विचार राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने गुरुवार को लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बीएड सीडी के नवआगन्तुक प्रशिक्षणार्थियों के लिए आयोजित पंद्रह दिवसीय दीक्षारम्भ समारोह के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दीक्षारम्भ समारोह को व्यवसायिक वातावरण निर्माण से समेकित किया। बदलते विश्व की चुनौतियों का सामना करने के लिए सूचना सम्प्रेषण तकनीक में निष्णात होनेे आवश्यकता पर बल किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में स्किल को अपस्किल करने का आव्हान करते हुए भावी शिक्षकों  से जीवन में सार्थक परिवर्तन लाने की बात की। प्रो. सारंगदेवोत ने सत्य और धर्म को व्यापक रूप से परिभाषित करते हुए उनके जीवन पर प्रभाव के साथ राष्ट्र की प्रगति में शिक्षा पद्धतियों की अनुपालना के महत्व को बताते हुए शिक्षक के दायित्वों को भी बताया। प्रारंभ में प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने अतिथियों का स्वागत करते हुए 15 दिवसीय समारोह की जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़ सहित अकादमिक सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।  संचालन डॉ. अमित दवे ने किया जबकि आभार डॉ. सुनीता मुर्डिया ने जताया।
By Udaipurviews

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