-छह माह में 538 बच्चे हुए थे लाभान्वित, कलक्टर ने अभियान चलाकर एक माह में ही जोड़ दिए 400 से अधिक
-अनाथ सहित अन्य पात्रता श्रेणी के जरूरतमंद बच्चे हो रहे लाभान्वित
राजसमंद, 9 नवंबर। जिला कलेक्टर बालमुकुंद असावा का संवेदनशील दृष्टिकोण जरूरमंद, अनाथ और बेसहारा बच्चों के प्रति एक विशेष उदाहरण प्रस्तुत करता है। उनके नेतृत्व में जिले में पालनहार योजना को पूरी मजबूती के साथ लागू किया जा रहा है, ताकि समाज के इन वंचित वर्गों तक सरकार की हर संभव सहायता पहुंच सके। असावा ने सुनिश्चित किया है कि इन बच्चों को न केवल आर्थिक सहायता मिले बल्कि उन्हें उचित देखभाल और संरक्षण भी प्राप्त हो, जिससे वे एक सुरक्षित और उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें। जिला कलक्टर असावा द्वारा अधिक से अधिक पात्र एवं वंचित बच्चों को पालनहार योजना से जोड़ने के उद्देश्य से चलाए जा रहे विशेष अभियान का असर अब दिखने लगा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक जय प्रकाश चारण ने बताया कि इस अभियान के माध्यम से बड़ी संख्या में बच्चों को योजना से जोड़ा जा रहा है।
एक भी पात्र बच्चा वंचित न रहे :कलक्टर- 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक के बीच 301 पालनहार स्वीकृत कर कुल 538 बच्चों को लाभान्वित किया गया था। इस अभियान के अंतर्गत केवल एक माह, यानि 1 अक्टूबर से 7 नवंबर तक, 250 से अधिक नए पालनहार स्वीकृत किए गए हैं, जिससे 430 अतिरिक्त बच्चों को योजना का लाभ मिला है, यह आंकड़ा सोमवार तक 500 पहुंच सकता है। यही गति जारी रही तो बड़े पैमाने पर अनाथ बच्चे इस योजना से जुड़ेंगे और आर्थिक सहायता प्राप्त करेंगे। जिला कलक्टर असावा ने निर्देश दिए हैं कि इस अभियान को और अधिक प्रगति दी जाए, ताकि एक भी पात्र बच्चा योजना से वंचित न रहे। अभियान की सफलता के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी छुट्टी के समय भी तन्मयता से काम कर रहे हैं। कार्य दिवसों में शाम 6 बजे से लेकर देर रात्रि तक सभी फॉर्म निस्तारित करने में लगे रहते हैं। शनिवार को भी दिन भर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का कार्यालय खुल रहा और सभी कार्मिक फॉर्म निस्तारित करते रहे। अनाथ और बेसहारा बच्चों के प्रति कलक्टर असावा की संवेदनशीलता उनके कार्यों में साफ झलकती है। उन्होंने अपने प्रशासनिक कर्तव्यों से परे जाकर यह सुनिश्चित किया है कि इस अभियान के माध्यम से प्रत्येक पात्र बच्चे को समय पर मदद मिले। बालमुकुंद असावा के इस प्रयास ने उन्हें समाज में एक मानवीय और उदार अधिकारी के रूप में स्थापित किया है, जिनके दिल में इन जरूरतमंद बच्चों के लिए विशेष स्थान है। उनके प्रयासों की बदौलत जिले में पालनहार योजना न केवल सफल हो रही है बल्कि अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा बन रही है।
पालनहार में इस तरह मिलता है लाभ : पालनहार योजना के तहत अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, शिक्षा आदि की व्यवस्था संस्थागत नहीं की जाकर समाज के भीतर ही बालक-बालिकाओं के निकटतम रिश्तेदार या परिचित व्यक्ति के परिवार में करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को पालनहार बनाकर राज्य की ओर से पारिवारिक माहौल में शिक्षा, भोजन, वस्त्र एवं अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता उप निदेशक जय प्रकाश चारण ने बताया कि योजना के तहत अनाथ बच्चे, न्यायिक प्रक्रिया से मृत्यु दण्ड, आजीवन कारावास प्राप्त माता-पिता की संतान, निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता की अधिकतम तीन संताने, नाता जाने वाली माता की अधिकतम तीन संताने, पुनर्विवाहित विधवा माता की संतान, एड्स पीड़ित माता-पिता की संतान, कुष्ठ रोग से पीडित माताध्यिता की संतान, विकलांग माता-पिता की संतान, तलाकशुदा या परित्यक्ता महिला के बच्चे, सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की संतान पात्र हैं। अनाथ बच्चों की श्रेणी में 6 वर्ष तक के बच्चों को 1500 रुपए प्रतिमाह, 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों को 2500 रुपए प्रतिमाह लाभ लाभ मिल रहा है। ऐसे ही अन्य श्रेणी के बच्चों को 6 वर्ष तक 750 रुपए, 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों को 1500 रुपए प्रतिमाह लाभ का लाभ दिया जाता है।