विद्यापीठ में कैपेसिटी बिल्डिंग पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
उदयपुर, 28 नवम्बर। स्थायित्व प्राप्त करने के लिए समय के साथ सकारात्मक बदलाव लाना आवश्यक है।
यह बात राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. कर्नल एस एस सारंगदेवोत ने गुरुवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर के जन शिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय और दत्तोपंत ठेंगड़ी राष्ट्रीय श्रमिक बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम पर एक दिवसीय कार्यशाला में कही।
क्षमता विकास, सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि किसी भी प्रणाली को सफल बनाने के लिए उसे समर्थन देना आवश्यक है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके सही उपयोग के लिए आम जनता के भ्रम को दूर करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि एआई के कारण रोजगार छिनने का डर केवल एक भ्रांति है और इसे समझने के लिए एक संतुलित और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “चरित्र से चरित्रवान बनना महानता को चरितार्थ करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि क्षमता विकास और चरित्र विकास में आत्म-प्रेरणा और आत्मविश्वास की अहम भूमिका होती है।
प्रो. सारंगदेवोत ने यह भी कहा कि छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकता है। उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण और निरंतर प्रयास को सफलता का मूल मंत्र बताया।
विशिष्ट अतिथियों में जगदीप सिंह, कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, सहायक कुलसचिव धर्मेंद्र राजोरा और पीठ स्थविर कौशल नागदा, जन शिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम के प्रो. राजीव शुक्ला शामिल थे।
कार्यक्रम में दत्तोपंत ठेंगड़ी राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक जगदीप सिंह और कुलप्रमुख भंवरलाल गुर्जर , पीठ स्थविर डॉ कौशल नागदा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में विशेष अतिथि कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने भी उपस्थित कार्यकर्ताओं से कहा कि हमेशा जीवन में अनुशासन के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जिस व्यक्ति में अनुशासन होगा वह व्यक्ति अपना निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होगा।
कार्यशाला में जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशक बाल कृष्ण शुक्ला ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यशाला में जन शिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेशालय के निदेशक प्रो. राजीव शुक्ला ने क्षमता विकास की संकल्पना अवस्थित परिचय देते हुए विषय प्रवर्तन प्रस्तुत किया।
डॉ कौशल नागदा ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रतिभागियों को नई ऊर्जा और उत्साह प्रदान करती हैं।
सहायक कुलसचिव धर्मेंद्र राजोरा ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कार्यशाला पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. संजीव राजपुरोहित ने किया।
कार्यशाला में पीठ स्थविर डॉ कौशल नागदा, जनशिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम के सहायक निदेशक डॉ संजीव राजपुरोहित, सहायक रजिस्ट्रार डॉ धर्मेंद्र राजौरा, राकेश दाधीच, डॉ विजय दलाल, तृप्ता जैन, डॉ सोनू बडाला, डॉ यज्ञ आमेटा, के के कुमावत, पीरुकांत मीणा, मरजीना बानू, बद्री मीणा, स्नेहलता शर्मा, विजय गर्ग, नरेंद्र सेन, यशोदा आमेटा, लोगर लाल गायरी, मनोहर सिंह चुंडावत उपस्थित रहे।