पर्यूषण पर्व दर्पण लेकर आया है दूरबीन नहीं जिसमें अपने आप को खोजें दूसरों को नहीं-साध्वी संयमलता

उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्व पर्युषण के प्रथम दिन पर्युषण का करे वेलकम हिंसा को करें कम  विषय पर विशेष प्रवचन हुआ।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा पर्यूषण पर्व अष्ट दिन होने के कारण इसे अष्टान्हिक पर्व भी कहा जाता है। पर्यूषण पर्व दर्पण लेकर आया है, दूरबीन नहीं। अपने आप को खोजें दूसरों को मत खोजें। अपने दुर्गुणों को देखना औरों के नहीं-यह पर्यूषण पर्व का संदेश है।
साध्वी ने आगे कहा अहिंसा विश्व शांति का मूल आधार है। अहिंसा धर्म वीरो का आभूषण है,कायरों का नहीं। अहिंसा का समर्थन करो। जो ताकत बंदूक में नहीं वह अहिंसा में है। गांधीजी ने बंदूक से नहीं, अहिंसा के बल से देश को आजाद कराया था। आपके नगर या राज्य में जहां तक हो सके कसाई खाने बंद करवाकर जीवदया का प्रचार करना चाहिए। हिंसा का धंधा करने वाले पशु पक्षियों को अभय दान देवे। कम से कम पर्युषण के आठ दिन हिंसाजन्य वस्तुओं के व्यवहार का त्याग करके अहिंसा के प्रति अपनी निष्ठा को सुदृढ़ बनाएं।
उन्होंने कहा कि पर्युषण के इन आठ दिनों में गरीब, अनाथ बच्चे, पशु पक्षियों की सेवा करना। सामायिक, प्रतिक्रमण, पौषध करना। आचार्य विचार शुद्ध रखना, अपने भीतर में लौट आना, महावीर के आदर्शों पर चलना। मन में बुरे विचारों का प्रवेश, हिंसक भावनाओं का उभार और दूसरों के अहित की योजना बनाना भी हिंसा है। अहिंसा के पुजारी भगवान अरिष्ठनेमी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए साध्वी ने आगे बताया कि पशुओं की हिंसा को रोकने के लिए नेमिनाथ ने भोग को छोड़ योग का मार्ग अपनाया। सर्वप्रथम मंगलाचरण के पश्चात साध्वी कमलप्रज्ञा ने अंतकृतदशांग सूत्र का वाचन करते हुए कहा अंतगढ़ सूत्र में 8 वर्ग है और पर्युषण के 8 दिनों में इसका वांचन किया जाता है। अंतगढ़ सूत्र में 90 आत्माओं का वर्णन जिन्होंने संयम तप द्वारा सभी कर्मों का अंत करके मोक्ष को प्राप्त किया। हमें भी पर्युषण में अपने कृत कर्मों को क्षय कर आत्मा को उज्जवल बनाना है।साध्वी सौरभप्रज्ञा ने पर्वाधिराज पर्यूषण के आगमन पर गीतिका प्रस्तुत की।पाठशाला के बच्चों द्वारा ष्कन्दमूल की कहानीष् विषय पर सुंदर से नाटिका का आयोजन हुआ। दोपहर में महासती अमितप्रज्ञा ने कल्पसूत्र का वाचन किया उसके पश्चात फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें 200 से अधिक भाई बहनों ने भाग लिया। चातुर्मास आयोजन समिति के अध्यक्ष ललित लोढ़ा ने बताया सोमवार को दान की महिमा एवं मां की ममता पर विशेष मार्मिक प्रवचन का आयोजन किया जाएगा।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!