सी टी ए ई के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग मे रोबोटिक्स क्लब द्वारा एक दिवसीय रोबो –फुरी रोबो रेस का आयोजन

उदयपुर। एम पी यू ए टी के संघटक सी टी ए ई के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग मे रोबोटिक्स क्लब द्वारा एक दिवसीय रोबो –फुरी रोबो रेस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम मे नीमो लेब्स के फाउंडर डायरेक्टर श्री मोहित महेश्वरी एवं श्री नितिन पुरोहित ने स्टेम एजुकेशन एंड करियर डेवलपमेंट पर अपना व्याख्यान दिया और छात्रों के रोबोटिक्स क्लब द्वारा किये गए नवाचारो और एक्टिविटीज की सराहना की. उन्होने बताया की आज के समय मे कॉलेज से अर्जित शिक्षा को तब तक सफल शिक्षा नहीं कहा जा सकता जब तक इसे इंडस्ट्री प्लेटफार्म पर सफलता पूर्वक अप्लाई नहीं कर लिया जाता. उन्होने सभी छात्रों को आउट ऑफ़ बॉक्स सोच के साथ स्टार्ट अप्स की तरफ आकर्षित करने का मंत्र दिया. इससे पहले विभागाध्यक्ष डॉ नवनीत अग्रवाल ने विभाग के अंतर्गत की जा रही विभिन्न गतिविधियों और छात्रों द्वारा अर्जित विभिन्न आयामों के बारे मे बताया . डॉ. अग्रवाल ने बताया कि, महाविद्यालय ,अपनी स्थापना का डायमंड जुबिली वर्ष मना रहा है और हर वर्ष की भाति , इस वर्ष भी ए आई सी टी ई , नई दिल्ली द्वारा आयोजित स्मार्ट इंडिया हेकाथोन मे कॉलेज से दो टीमो का चयन हुआ है उसमे एक टीम इलेक्ट्रॉनिक्स से और दूसरी कंप्यूटर साइंस से है.
मध्यांतर के पश्चात छात्रों द्वारा विकसित माइक्रो कंट्रोलर से बनाये गये मिनी रोबोट्स की रोबो रेस इवेंट का आयोजन हुआ . रोबोटिक्स क्लब के कोर टीम कोऑर्डिनेटर तनिष्क परिवाला और उनके सहयोगी सदस्यों ने बताया की इवेंट मे कुल 17 टीमो ने इसमे भाग लिया और जूरी मेम्बेर्स ने टॉप तीन टीमो को पुरस्कृत किया . विजेता टीम्स को ट्राफी और प्रसंशा पत्र दिये गये .
महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. अनुपम भटनागर ने सभी विजेता टीम्स को बधाई दी और भविष्य मे निरंतर प्रगति करने की शुभकामनाएं दी.
मंच का सञ्चालन मोक्षदा उपाध्याय और वर्तिका दाधीच ने किया. कार्यक्रम के अंत मे वोट ऑफ़ थैंक्स डॉ. नितिन कोठारी ने दिया . कमलेश मीणा ने पूरी की पीएचडीए पारंपरिक अनाज.आधारित प्रोबायोटिक राबड़ी पाउडर विकसित करने में किया महत्वपूर्ण शोध जयपुर निवासी और भारतीय खाद्य एवं डेयरी अनुसंधान में प्रख्यात नामए कमलेश मीणा ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान एनआईएफटीईएम ;छप्थ्ज्म्डद्धए कुंडलीए सोनीपतए हरियाणा से पीएचडी पूरी कर ली है। वर्तमान में वह महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयए उदयपुर के डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी स्नातक डिग्री डेयरी प्रौद्योगिकी में कॉलेज ऑफ डेयरी एंड फूड टेक्नोलॉजी से प्राप्त की और मास्टर डिग्री नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट ;एनडीआरआईद्धए करनाल से हासिल की। उनके पीएचडी शोध का विषय ष्स्वदेशी प्रोबायोटिक लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया का उपयोग कर मक्का आधारित राबड़ी पाउडर का विकासष् था। उन्होंने डॉण् नीतू तनेजा के मार्गदर्शन में पीएचडी शोध किया है। इस शोध के माध्यम से उन्होंने पारंपरिक भारतीय खाद्य पदार्थों में नए प्रोबायोटिक संभावनाओं को खोजने का प्रयास किया। उनके शोध का मुख्य उद्देश्य उदयपुर क्षेत्र की जनजातीय समुदायों द्वारा बनाई जाने वाली पारंपरिक मक्का आधारित राबड़ी में उपस्थित प्रोबायोटिक बैक्टीरिया की पहचान और उनके स्वास्थ्य लाभकारी गुणों का परीक्षण था। डॉण् मीणा ने ष्स्ंबजपचसंदजपइंबपससने चसंदजंतनउ ज्ञडन्क्त्7ष् नामक प्रोबायोटिक बैक्टीरिया की विशेषताओं को उभारते हुए स्प्रे ड्राइंग तकनीक द्वारा एक उच्च गुणवत्ता वाला मक्का आधारित प्रोबायोटिक राबड़ी पाउडर ;डठच्त्च्द्ध तैयार किया। उत्पाद के लिए उपयोगी अवयवों और स्प्रे ड्राइंग तापमान का सही संतुलन ढूंढने के लिए रेस्पॉन्स सरफेस मेथडोलॉजी का उपयोग किया गयाए जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई। शोध में तैयार मक्का आधारित प्रोबायोटिक राबड़ी पाउडर का शेल्फ लाइफ परीक्षण विभिन्न तापमानों पर किया गया। 4°ब् पर इसे 49 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता हैए जो इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से उपयोगी बनाता है। इस पाउडर में उच्च प्रोटीनए कम नमी और बेहतरीन पुनर्घुलन क्षमता जैसी गुणकारी विशेषताएं पाई गईं। उत्पाद में उच्च एंटीऑक्सीडेंट क्षमता और खनिज तत्वों की प्रचुरता हैए जो इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाते हैं। डॉण् मीणा ने अपने शोध के दौरान चार महत्वपूर्ण शोध पत्र स्कोपस और एससीआई इंडेक्स्ड जर्नल्स में प्रकाशित किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने फूड और डेयरी माइक्रोबायोलॉजीए जैव.प्रौद्योगिकी पर कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। उनके लेख और समीक्षाएं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैंए जिनमें भारतीय खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनका योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है। उनकी शोध यात्रा न केवल भारतीय डेयरी उद्योग के लिए एक प्रेरणा हैए बल्कि यह पारंपरिक भारतीय खाद्य उत्पादों में प्रोबायोटिक अनुसंधान की नई संभावनाओं को खोलती है। उनके द्वारा विकसित किया गया मक्का आधारित प्रोबायोटिक राबड़ी पाउडर भविष्य में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी उत्पादों की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

By Udaipurviews

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