उदयपुर 7 दिसम्बर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के तत्वावधान में जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग ने मनाया। राजस्थान मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा निर्देशित क्षमावाणी पर्व व विश्व मैत्री दिवस’ व्याख्यान माला आयोजित हुआ। डॉ.ज्योति बाबू जैन कार्यक्रम समन्वयक एवं विभाग अध्यक्ष ने बताया की मुख्य वक्ता आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती मुनि सम्बोध कुमार मेधांश ,नानेश ध्यान केंद्र से डॉ सत्यनारायण शर्मा,थे ,अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा, मुख्य अतिथि भाजपा आपदा राहत एवं सहयोग विभाग राजस्थान के प्रदेश संयोजक डॉ. जिनेन्द्र शास्त्री थे। विशिष्ट अतिथि प्रो. हेमन्त द्विवेदी अधिष्ठाता (सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय) एवं दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा के अध्यक्ष जमनालाल हपावत थे। मुनि सम्बोध कुमार मेधांश ने कहा कि सॉरी, माफी, फोरगिवनेस शब्द अधुरे है। क्षमापना इस अधुनेपन की संपूर्णता सौंपती है। आदमी की यह सबसे बड़ी कमजोरी है कि वह अपनी गलतीयों के क्षणों में वकील बन जाता है और दूसरों की गलतियों के क्षणों में जज बन जाता है। भूलों को भुलाना ही क्षमापना है। जब तक एक दुसरे के अस्तित्व को स्वीकार न कर लिया जाए तब तक क्षमापना शब्द अपना ष्अर्थ सिद्ध नहीं कर पाता। दुनिया का बहुत सिम्पल सिद्धांत है जो हम देंगे वही हमें मिलता रहेगा। प्रेम का जहाँ विस्तार होगा वहाँ वैर का और घृणा का अंत होता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुखाडिया वि. वि. की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने कहा कि कभी किसी का ’दिल दुखाया’ हो तो ’क्षमापना’ कर लेने से मन हलका हो जाता है। मन तनाव मुक्त हो तो विश्व में शांति की स्थापना संभव है। द्वितीय मुख्य वक्ता आचार्य नानेश ध्यान केन्द्र से डॉ. सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि जिस तरह अग्नि अपने आसपास की हर चीज जला देती है वैसे ही कषाय आत्मा को जला देती है। क्षमा कषाय को क्षीण कर देता है। क्षमा से ही विश्व मैत्री सार्थक हो सकती है। मुख्य अतिथि कि भाजपा आपदा राहत एवं सहयोग विभाग राजस्थान के प्रदेश संयोजक डॉ. जिनेन्द्र शास्त्री ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के विश्व विद्यालयों में क्षमापर्व समायोजित करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा की हमें क्षमा उनसे माँगनी चाहिए जिससे गलती हुई हो,वह उत्तम क्षमा मन,वचन,काय से माँगनी भी चाहिए व देना भी चाहिये। कार्यक्रम के समप्रेरक प्रो. हेमन्त द्विवेदी अधिष्ठाता (सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय) ने अपने प्रभावी वक्तव्य में कहा कि ’क्षमा’ देवनागरी भाषा के दो-तीन शब्द है मगर इकलौते महावीर ने सम्यक शब्द का प्रयोग कर जन प्रिय बना दिया। क्षमापना अत्यंत उपयोगी और व्यवहारिक है अतः इसे प्रतिवर्ष विभाग द्वारा आयोजित करने के लिए निर्देशित किया ।उन्होंने विभाग द्वारा किए गए जा रहे विषय विस्तार के कार्यों की सराहना की । दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा के अध्यक्ष जमनालाल हपावत ने भावपुर्ण विचारों की प्रस्तुति देते हुए प्रभारी विभाग अध्यक्ष के समर्पित प्रयासों से महासभा द्वारा जन सहभागिता से निर्मित किया जा रहे ’जैन विद्या एवं प्राकृत’ के ’उच्च अनुसंधान केंद्र प्राकृत भवन’ का शीघ्र लोकार्पण कराने की घोषणा की। जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के प्रभारी अध्यक्ष एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ज्योति बाबू जैन ने समागत अतिथियों का अभिनंदन करते हुए कहा- क्षमा शब्द जैन का नहीं बल्कि भारत का आदर्श है। क्षमा पर्व को शैक्षणिक संस्थानों में समायोजित करा राज्य सरकार ने श्रेष्ठ कार्य किया है। संचालन सहायक आचार्य जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के डॉ. सुमत कुमार जैन ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के आचार्य डॉ .आशीष सिसोदिया डॉ. मुरलीधर पालीवाल डॉ. पीयूष भादविया, रेखा वडाला धर्णेद्र जैन आदि प्राध्यापकों शोधार्थी विद्यार्थियों के साथ श्री कुंथु कुमार जी,रोशन लाल आवोत, डॉ. अशोक जेतावत, चंदन सिंह धाकड़, लक्ष्मी लाल सालवी, पूर्णिमा बोकडिया आदि गणमान्य श्रेष्ठियों एवं समाज जनों की सहभागिता रही। अंत में सामूहिक क्षमापना के साथ कार्यक्रम संपन्न किया गया।
कार्यक्रम समायोजन में राष्ट्रीय सेवा योजना की अधिकारी एवं सहअधिष्ठाता प्रो. दिग्विजय भटनागर का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। डॉ.ज्योति बाबू जैन कार्यक्रम समन्वयक एवं विभाग अध्यक्ष जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर मौजूद थे।