परम्परागत खेती को तकनीक से जोड़ने की जरूरत – प्रो. सारंगदेवोत

अरण्डी की उन्न्त खेती
पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ आयोजन

उदयपुर  24 सितम्बर / राजस्थान विद्यापीठ के संघटक स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साईसेंस, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को महाविद्यालय के सभागार में किसानों के लिए अरण्डी की उन्नत खेती पर एक दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे देश में अभी तक पेशेवर कृषि नहीं हुई है, इसी कारण जो 70 प्रतिशत हमारा कृषि प्रधान देश था, आज 42 प्रतिशत पर आ गया है।

समय के साथ खेती में परिवर्तन जरूरी है। अधिक पैदावार के लिए हमें परम्परागत खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अरण्डी का प्रयोग प्राचीन समय से किया जाता रहा है, जिसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है। यह एक औषधीय पैदावार है। पूरे विश्व का 90 प्रतिशत उत्पाद भारत में होता है, जिसका बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है और सीधा फायदा किसानों को मिलता है।

प्रारंभ में प्रो. आईजे माथुर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि शिविर में पुसेरिया,रायला पंचायत समिति, भीण्डर के किसानों ने भाग लिया। प्रो. एनएस सोलंकी ने एक दिवसीय प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए किसानों के लिए भावी योजनाओं के बारे में बताया। इस अवसर पर ग्रामीण किसानों को खेत जोतने के आधुनिक उपकरण दिये गये, जिससे वे कम समय में अधिक पैदावार कर सकेंगे।

शिविर में डीन प्रो. गजेन्द्र माथुर,  डॉ. कल्पना यादव, प्रो. आनंद सिंह जोधा ने अरण्डी में कीट एवं व्याधि प्रबंधन पर अपने विचार व्यक्त किए।

संचालन सौरभ सिंह ने किया जबकि आभार सोनिया जेसवानी ने जताया।

By Udaipurviews

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