मातृ मृत्यु दर में तेजी से कमी लाने के लिए जागरुकता
उदयपुर। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल, सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने, चिकित्सा जांच, स्वास्थ्य सहायता और सरकारी पहल के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से 11 अप्रैल का दिन राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया गया है। आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। यह उन कई पहलों में से एक है जो भारत सरकार ने मातृ और नवजात मृत्यु को कम करने के लिए की हैं। 2003 में भारत सरकार ने 11 अप्रैल को कस्तूरबा गांधी के जन्म की सालगिरह को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया। 2023 का यह दिन 20वें संस्करण को चिह्नित कर रहा है।
मातृ और नवजात के मृत्यु आंकड़े भयावह हैं। माताओं को यह समझाना भी महत्वपूर्ण है कि यह देखभाल न केवल उनकी सुरक्षा करती है बल्कि बच्चे की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है। दुखद है कि गर्भावस्था और बच्चे के जन्म से संबंधित जटिलताओं के कारण भारत में जन्म देते समय प्रति एक लाख महिलाओं में से 167 महिलाएं हर साल मौत के मुंह में चली जाती हैं। पूरी मातृ मौतों में से लगभग 10 प्रतिशत मौतें गर्भपात से संबंधित जटिलताओं के कारण होती हैं। पांच राज्यों उत्तराखंड (101), पश्चिम बंगाल (109), पंजाब (114), बिहार (130), ओडिशा (136) और राजस्थान (141) में मातृ-मृत्युदर 100-150 के बीच है, जबकि छत्तीसगढ़ (160), मध्य प्रदेश (163), उत्तर प्रदेश (167) और असम (205) ऐसे राज्य हैं जहां मातृ-मृत्युदर 150 से अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं इतनी आधुनिक नहीं है वहां मातृ-मृत्युदर सबसे ज्यादा है। योग्य और अनुभवी पेशेवरों की अनुपलब्धता, पिछड़े क्षेत्रों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की अनुपलब्धता भी इसकी प्रमुख वजह है।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कई ऐतिहासिक फैसलों से महिलाओं के लिए सम्मानजनक जीवन जीने की राह आसान हुई है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और लेबर रूम क्वालिटी इम्प्रूवमेंट इनिशिएटिव के तहत गुणवत्ता युक्त देखभाल प्रयासों तथा जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना जैसी मौजूदा योजनाओं के संयोजन से काफी लाभ अर्जित किए गए हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य यही है कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान और तत्काल बाद की अवधि में सम्मानजनक और गुणवत्तायुक्त देखभाल उपलब्ध हो।
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) योजना का भरपूर लाभ राजस्थान की महिलाओं को मिला है। इसकी शुरुआत 1 जनवरी, 2017 को हुई थी। इसका उद्देश्य नकद प्रोत्साहन के रूप में आंशिक मुआवजा प्रदान करना है। इसी तरह जननी सुरक्षा योजना का उद्देश्य शिशु और मातृ मृत्युदर को कम करने के लिए संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को प्रोत्साहित करना है। 01 अप्रेल 2022 से योजना में संशोधन किया गया है। पीएमएमवीवाई के तहत राजस्थान में पिछले तीन वर्षों के दौरान 2019-20 में 5,35,006 लाख, 2020-21 में 4,51,863 लाख और 2021 22 में 4,76,509 लाख लाभार्थियों को मातृत्व लाभ प्रदान किया गया है। योजना में अब तक राजस्थान में 19 लाख से अधिक महिलाओं को बेहतर देखभाल मिली है।
ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं जिसको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने शुरू किया है। राष्ट्रीय मातृत्व आश्वासन सुमन योजना 10 अक्टूबर 2019 को शुरू की गई। योजना का लक्ष्य महिला व नवजात शुशु की मृत्युदर में कमी लाना है। सौ फीसद प्रसव को अस्पतालों या प्रशिक्षित नर्सों की कराना सुनिश्चित किया है। इस योजना के तहत महिला को गर्भवती होने के छह महीने से लेकर प्रसव के छह महीने तक व नवजात शिशुओं को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
भारत सरकार ने समयबद्ध तरीके से बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की पोषण स्थिति में सुधार लाने के लक्ष्य को हासिल करने के साथ 2018 से पोषण अभियान लागू किया है। वर्ष 2018 में ही, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अनीमिया मुक्त भारत रणनीति की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य एनीमिया के प्रसार को कम करना है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और बीमार शिशुओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में सिजेरियन सेक्शन, मुफ्त परिवहन, निदान, दवाएं, अन्य उपभोग्य वस्तुएं, आहार और रक्त सहित सेवाओं की मुफ्त आपूर्ति करके उनके जेब पर पड़ने वाले खर्च को खत्म करना है। माताओं और बच्चों की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए मातृ एवं बाल स्वास्थ्य (एमसीएच) विंग की स्थापना की गई है। जटिल गर्भधारण को संभालने के लिए प्रसूति आईसीयू/एचडीयू का संचालन किया जा रहा है।
मातृ मृत्यु की निगरानी समीक्षा भी की जाती है। इसका उद्देश्य सुधारात्मक कार्रवाई करना और प्रसूति देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाना है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 2021 में मेटरनल पेरिनाटल चाइल्ड हेल्थ सर्विलांस रिस्पांस (एमपीसीडीएसआर) सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है ताकि मातृ मृत्यु के लिए कार्रवाई योग्य डेटा प्राप्त करने के लिए एकीकृत सूचना मंच तैयार किया जा सके। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को आहार, आराम, गर्भावस्था के खतरे के संकेत, लाभ योजनाओं और संस्थागत प्रसव के बारे में शिक्षित करने के लिए भी योजनाएं संचालित की जा रही हैं।