‘ पर्सनलिटी डवलपमेंट विद साईन्स ऑफ लिविंग ’’ विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का हुआ आयेाजन
युवा समाज व देश की रीढ़ की हड्डी – प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर 25 फरवरी / जीवन में सफ ल होने के लिए अपने मन से नकारात्मक भावों को निकालना होगा, और किसी ओर से नहीं , अपने स्वयं की निर्णय क्षमता के आधार पर आगे बढेगे तो जीवन में कभी असफल नहीं होगे। हम जीवन में कितने भी व्रत, उपवास कर लें, यदि जीवन में अपनी वजह से माता – पिता के एक भी आंसू आया तो आपके द्वारा किये गये सभी उत्तम कार्य व्यर्थ हो जायेंगे। इसलिए अपने माता पिता का पूरा सम्मान रखे। जिन्दगी जितने सवाल उठाती है उतने ही जवाब देती है। यह टमाटर चुनने जैसा है हम सभी श्रेष्ठ टमाटर चुनते है फिर भी शाम होते होते सारे टमाटर बिक जाते है। उक्त विचार शनिवार को राजस्थान विद्यापीठ के संघटक प्रबंधन अध्ययन संकाय विभाग की ओर प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में ‘‘ पर्सनलिटी डवलपमेंट विद साईन्स ऑफ लिविंग ’’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमीनार में मुनिश्री सम्बोध कुमार ‘‘मेधांश’’ ने बतौर मुख्य वक्ता कही। मुनिश्री ने युवाओं को योग के माध्यम से जीवन में सफल होने के गुण बताए। उन्होंने कहा कि सफलता लगातार कोशिशों का परिणाम है। स्वयं को कभी कमजोर न समझें। मुनिश्री ने स्टेªस फ्री लाईफ, स्मृति विकास , सुंदर हस्तलेखन, संकल्प शक्ति के विकास के प्रयोग करवाते हुए कहा कि अपना आदर्श स्वयं बने, ओरों से प्रभावित होने के बजाय स्वयं ऐसे जीएं कि लोग आपको देखते ही प्रभावित हो जाएं। परिस्थितियॉ कभी एक जैसी नहीं रहेगी, जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करने की क्षमता पैदा करें तो सफलताएं आपके चरणों में होंगी।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने मुनिवर का अभिनंदन करते हुए कहा कि ज्ञान वहीं जो आचार को उंचा उठाए, यह हमारा सौभाग्य है कि हम आज मुनिश्री की ज्ञान, रश्मियों से आलोकित हुए। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण आवश्यक हैं बौद्विक पाठ्यक्रम से ज्ञान को बढाया जा सकता है किन्तु उससे चरित्र का विकास नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि हमें ऐसे स्वस्थ व्यक्तित्व का निर्माण करना होगा जो शारीरिक , मानसिक, भावात्मक एवं सामाजिक स्वस्थता के मध्य सामंजस्य स्थापित कर सके। धर्म के बिना चरित्र की कोई संभावना नहीं हो सकती। जब चरित्र नहीं है तो व्यक्तित्व का समग्र विकास नहीं हो सकता। युवा देश और समाज की रीढ होता है, अपनी उर्जा को सकारात्मक में लगायें। खुद को दूसरों से कमजोर नहीं समझना चाहिए।
संचालन डॉ. मधु मुर्डिया ने किया जबकि आभार पीजीडीन प्रो. जीएम माथुर ने दिया।
समारोह में प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. पारस जैन, छाया जैन, डॉ. शुभी जैन, कुनाल जैन, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. अमी राठौड, डॉ. अवनीश नागर, डॉ. नवल सिंह राजपूत, डॉ. लालाराम जाट, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड, डॉ. रचना राठौड, डॉ. अमी राठौड, डा. बलिदान जैन, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, डॉ. शिल्पा कंठालिया, डॉ. तरूण श्रीमाली, डा. सरिता मेनारिया, चितरंजन नागदा, सहित विद्यापीठ के डीन , डायरेक्टर उपस्थित थे।