आचार्य विजयराज द्वारा दीक्षा तिथि व स्थल खोलते ही गूंजायमान हुआ पांडाल
उदयपुर, 6 नवम्बर। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में बुधवार को चतुर्विध संघ की उपस्थिति में तीन मुमुक्षु सुमति कुमार पोखरना, मुमुक्षु प्रीति पोखरना एवं मुमुक्षु मंथन छाजेड़ के परिजनों ने विधिवत तरीके से हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. को प्रतिज्ञा पत्र एवं आज्ञा पत्र समर्पित किया। आचार्य श्री ने रखे जाने वाले सभी आगारों के साथ तीनों मुमुक्षुओं की दीक्षा आगामी 7 फरवरी 2025 को जयपुर में कराने की अनुमति प्रदान की। आचार्य श्री जी के दीक्षा तिथि एवं दीक्षा स्थल की घोषणा करते ही चहुंओर से हर्ष-हर्ष जय-जय, जय जयकार जय जयकार विजय गुरू की जय जयकार के नारों से वातावरण गूंजायमान हो गया। यहां उल्लेखनीय है कि मुमुक्षु सुमति कुमार एवं श्रीमती प्रीति पोखरना वीर माता-पिता है एवं इनके पुत्र विद्यानुरागी नीरजप्रिय जी म.सा. आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. के पास दीक्षित है। अब दोनों पति-पत्नी भी संयम के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं। श्री संघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता एवं मंत्री पुष्पेन्द्र बड़ाला ने बताया कि तीनों मुमुक्षुओं के माता-पिता, सास-ससुर आदि निकट परिजनों का उदयपुर श्रीसंघ की ओर से प्रमुख जनों ने माला, शॉल, पगड़ी द्वारा बहुमान किया । इससे पूर्व धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया कि आज लाभ पंचमी जो ज्ञान पंचमी के नाम से प्रसिद्ध है . इसी दिन प्रभु महावीर के संघ में आचार्य परम्परा का शुभारम्भ हुआ। इस दिन गौतम स्वामी एवं 64 इन्द्रों की उपस्थिति में चतुर्विध संघ ने 14 पूर्वधारी सुधर्मा स्वामी को आचार्य पद पर विधिवत प्रतिष्ठित कर आशा एवं उत्साह का तुमूल उद्घोष किया। आचार्य सुधर्मा स्वामी की प्रथम देशना सुनकर अनेक जन राग से विराग की ओर उन्मुख हुए। संसारियों के लिए अर्थ का लाभ होना लाभ पंचमी है, जबकि विरतियों के लिए ज्ञान प्राप्ति का सुंदर अवसर है। ज्ञान का लाभ ही स्थायी लाभ है। जागने एवं त्यागने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही अनुराग बढ़ाएं। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि सारे पापों की जड़ पंचेन्द्रियों के विषयों में राग-द्वेष है। यदि हम जीवन में शुद्ध आलम्बन को ग्रहण कर लें तो पंचेन्द्रिय के विषयों से स्वयं को निर्लिप्त रख पाएंगे। आज जिन तीन आत्माओं ने जिनवाणी एवं आचार्य श्री का शुद्ध आलम्बन लिया वे विरति के मार्ग पर अग्रसर होने को दृढ़ प्रतिज्ञ हो रहे हैं। श्रद्धेय विशालप्रिय जी म.सा., विद्यानुरागी नीरजप्रिय जी म.सा. ,मुमुक्षु प्रीति जैन, मुमुक्षु मंथन छाजेड़, यश्वी जैन एवं संजना पोखरना ने भी अपने विचारों को स्वर प्रदान किाय। आज ज्ञान पंचमी के पावन प्रसंग पर तपस्वी श्री विनोद मुनि जी म.सा. ने सम्पूर्ण नंदी सूत्र के मूल का वाचन किया। इस अवसर पर जयपुर के इंदरचंद हरकावत, कमल संचेती, प्रदीप गुगलिया एवं नवीन लोढ़ा ने भी अपने विचार रखे। आज प्रवचन सभा में हुरड़ा, फतहनगर, कानोड़, जयपुर, गोहाना, ब्यावर, कुकनूर, छत्तीसगढ़, आदि जगहों से सैंकड़ों दर्शनार्थी उपस्थित हुए।