कुंभलगढ़ बाघ परियोजना पर पुनर्विचार करे सरकार :सांसद
नई दिल्ली/राजसमंद। माननीय राजसमंद सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ ने संसद में नियम 377 के तहत पर्यावरण संतुलन और सतत विकास का मुद्दा उठाया और सरकार से स्थानीय निवासियों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने की मांग की है।उन्होंने कहा है कि कुम्भलगढ़ में प्रस्तावित टाइगर सफारी का कड़ा विरोध किया, जिसमें उन्होंने बताया कि यह योजना स्थानीय निवासियों के आवास और आजीविका के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकती है। उन्होंने मुद्दा उठाया है कि इस क्षेत्र में कभी भी बाघों का प्राकृतिक वास नहीं रहा है, जिससे यह योजना न केवल अव्यावहारिक बल्कि जनविरोधी भी साबित हो सकती है।
वन क्षेत्रों में अवैध खनन पर जताई चिंता:
सांसद ने राजसमंद और आसपास के क्षेत्रों में तेजी से हो रहे खनन कार्यों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में अवैध खनन और अनियंत्रित ब्लास्टिंग से न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य, जल स्रोत और पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इन गतिविधियों पर कठोर नियंत्रण लगाया जाए और कड़े पर्यावरणीय दिशानिर्देश लागू किए जाएं।
पर्यटन विस्तार के नाम पर हो रहा जंगलों का विनाश -सांसद
महिमा कुमारी मेवाड़ ने अपने संबोधन में मुद्दा उठाया है कि उदयपुर, नाथद्वारा, कुम्भलगढ़ और माउंट आबू में पर्यटन विस्तार के नाम पर जंगलों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है जिससे स्थानीय वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पर्यटन विकास योजनाओं में पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जाए और जंगलों को नष्ट होने से बचाया जाए।
कुम्भलगढ़ बाघ परियोजना पर हो पुनर्विचार :सांसद
सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ ने राजसमंद और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन के साथ सतत विकास को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि कुम्भलगढ़ बाघ परियोजना पर पुनर्विचार किया जाए ताकि स्थानीय निवासियों को विस्थापन से बचाया जा सके।
अवैध खनन और ब्लास्टिंग पर सख्ती से रोक लगाई जाए ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव न पड़े।
पर्यटन विकास के नाम पर जंगलों की कटाई पर तत्काल रोक लगाई जाए और पारिस्थितिकी संरक्षण के उपाय किए जाएं।
विकास में न हो पर्यावरण की अनदेखी : सांसद
सांसद ने कहा कि विकास जरूरी है लेकिन वह पर्यावरण और स्थानीय निवासियों के हितों की अनदेखी करके नहीं किया जा सकता। उन्होंने आशा जताई कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर आवश्यक कदम उठाएगी।