– उर्दू विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र का किया वितरण
– भाषाएं संवाद के लिए होती हैं – विवाद के लिए नहीं – प्रो. अख्तरूल वासेअ
– भाषाएॅ कोई भी हो, उसका बंधन न हो – प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर 11 मई / राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द के बीच हुए एमओयू व सर्टिफिकिट कोर्स इन उर्दू लेंग्वेज के विद्यार्थियों के प्रमाण पत्र वितरण समारोह का शुभारंभ प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में मुख्य अतिथि अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद्मश्री प्रो. अख्तरूल वासेअ, पूर्व सांसद डॉ. गिरिजा व्यास, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, प्रोफेसर सरवत खान, वरिष्ठ कवि गोविन्द माथुर ने किया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. सरवत खान ने बताया कि विद्यापीठ में 2021 से उर्दू का 45 दिवसीय निशुल्क सर्टिफिकेट कोर्स सिखाया जा रहा है। अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द की पूरे विश्व में शाखाएं हैं, ऐसा कोर्स किसी भी विश्वविद्यालय में कहीं नहीं है और न ही किसी विश्वविद्यालय से इस प्रकार का कोई एमओयू किया गया है।
एमओयू पर हस्ताक्षर करते हुए पद्मश्री से सम्मानित प्रो. अख्तरूल वासेअ ने कहा कि विद्यापीठ एवं अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द का पूरे देश में पहला एमओयू है। भाषाओं का कोई मजहब नहीं होता है, हर मजहब को भाषाओं की जरूरत होती है। भाषाएं संवाद के लिए होती हैं विवाद के लिए नहीं। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि विश्व में किसी देश के संविधान में इतनी भाषाओं को मान्यता नहीं दी गई जितनी हमारे देश में दी गई है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने, किसी कारणवश यह कहा कि उर्दू मुसलमानों की जुबान है जो ठीक नहीं है। इस देश की बराबरी कोई नहीं कर सकता , यह मुल्क दुनिया में अनोखा मुल्क है, जहॉ गंगा, यमुना, नर्बदा, ब्रहमपुत्र, कावेरी अनेकों राज्यों से गुजरती हुई आती हैं, कोई बंगाल की खाडी में मिलती है कोई हिंद महासागर में, बंगाल की खाडी और हिंद महासागर मिलकर एक विशाल हिंद महासागर को जन्म देते है। इसी तरह हिन्दुस्तान बनता है, हर वर्ग, समुदाय, भाषाओं को सम्मान दिया जाता है। उन्होने कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ बिना वजह परेशान हो रहे है कि हिन्दुस्तान किधर जा रहा है – वासेअ ने कहा कि हिन्दुस्तान कहीं नहीं जा रहा है। हिन्दुस्तान एक था, एक है, और एक रहेगा। हमें और आपकों एक-दूसरे को मोहब्बत और प्यार के गीत गाने चाहिए व एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहने की आदत डालनी चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि भाषाएॅ कोई भी हों, उसका बंधन नहीं होना चाहिए। आज देश दुनिया में जो कुछ हो रहा है , हम भाषाओं को सीमा में बांधने की कोशिश करते हैं, वहॉ से हमारा पराभव शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में त्रिभाषा को महत्व दिया गया है, जिसमें क्षेत्रीय भाषा को प्राथमिकता दी गई है। भाषा कोई भी , ख्याल एक होने चाहिए। इकबाल के गीत को दोहराते हुए कहा कि ‘‘ सारे जहॉ से अच्छा हिन्दूस्तान हमारा ’’ जो हमें राष्ट्रीयता का बोध कराता है, आवश्यकता इस बात की है कि हम किस तरह से हर भाषााओं का सम्मान करें और उसे आगे बढ़ायें, उसे प्रसार व प्रचारित करें, इसका जिम्मा विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों का है। इसी कड़ी में उर्दू का सर्टिफिकिट कोर्स माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय में शुरू किया गया है।
इस अवसर पर डा. प्रेम भण्डारी, इकबाल सागर, हरीश तलरेजा, दीपक सुखाड़िया, डॉ. कुसुम, प्रो. फरहत, प्रो. सुधा चौधरी, प्यारे मियॉ, हाजी मोहम्मद बक्षी, इस्माईल दुर्गा, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. मंजु मांडोत, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. एसबी नागर, डा. दिलिप सिंह चौहान, डॉ. धीरज प्रकाश जोशी, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, डॉ. हेमंत साहू, डॉ. मानसिंह चुण्डावत, डॉ. यज्ञ आमेटा सहित शहर के गणमान्य नागरिक व विद्यापीठ डीन, डायरेक्टर उपस्थित थे।
संचालन डॉ. हीना खान, शाहिस्ता ने किया जबकि आभार भंवर लाल गुर्जर ने जताया।