-सैयद हबीब
मावली में सियासत :
उदयपुर। मावली रेलवे लाइन का जंक्शन है और सियासत का भी। इस क्षेत्र में हवाई अड्डे पर वायुयान और हेलीकॉप्टर भी उतरते हैं। हर बार मावली में प्रत्याशी प्रॉपर मावली से बाहर का होता है। खासतौर पर बीजेपी में।
मौजूदा विधायक धर्म नारायण जोशी जो पहली बार यहां से विधायक चुने गए, इस बार उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। बीजेपी नेता ओम माथुर व खुद पीएम मोदी के करीबी रहे जोशी ने प्रदेश अध्यक्ष व आला कमान को पत्र लिख दिया है। जोशी ने मावली से लोकल प्रत्याशी दिनेश कावड़िया को टिकट देने की सिफारिश की है। साथ ही पत्र में लिखा है कि पार्टी उचित समझे तो उन्हें उदयपुर शहर से टिकट देवे।
जोशी ने उदयपुर में लंबे समय तक संगठन का काम किया है। उदयपुर में अब भी सक्रिय है। बीजेपी नेता गुलाबचंद कटारिया से अदावत की वजह से उन्हें उदयपुर छोड़ना पड़ा था। उनके समर्थक बीजेपी के पूर्व मंडल अध्यक्ष एवं पार्षद दिनेश गुप्ता ने उदयपुर चौपाल व्हाट्सएप ग्रुप पर लिखा है-राम का वनवास पूरा हुआ, स्वागत है।
जोशी ने यह पत्र लिख कर बड़ा दांव खेला है। मावली में उनके खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकांबेसी है, जिसका एहसास उन्हें पहले हो गया। लोकल प्रत्याशी की सिफारिश कर वहां दावेदारों के बीच नया विवाद खड़ा कर दिया। तीसरा सबसे बड़ा खेला यह होगा कि अगर मावली से किसी जैन प्रत्याशी को टिकट मिलता है तो उदयपुर शहर से जैन प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलेगा। इसके बावजूद भी जोशी के लिए उदयपुर से टिकट पाना और यहां से जीतना, इतना आसान नहीं होगा। उन्हें पहले अपने ही लोगों से संघर्ष करना पड़ सकता है।
इससे भी खास बात यह है कि उदयपुर से चुनाव लड़ने के लिए उन्हें असम के राजभवन का भी सानिध्य लेना पड़ेगा। वैसे पिछले कुछ सालों में दोनों मधुर संबंध रहे हैं। लेकिन असम के राजभवन की रूह उदयपुर में ही रहती है। आप यह मानकर चलिए उदयपुर में चलने वाली हवा असम के राजभवन की दीवारों से टकरा रही है। डॉन को हारना दूर नजरंदाज करना भी बहुत मुश्किल है।