आचार्य संघ का आयड़ तीर्थ में हुआ मंगल प्रवेश
– 5 से 7 जनवरी तक पाश्र्वनाथ भगवान का अष्ठम तप तेला का होगा आयोजन
उदयपुर, 4 जनवरी। श्री जैन श्वेतम्बर महासभा के तत्वावधान में गुरुवार को ईडर पावापूरी तीर्थ के निर्माता परम पूज्य आचार्य देव कल्याणसागर सूरीश्वर महाराज, आचार्य राजतिलक सागर सूरीश्वर, मुनि धर्मकीर्ति सागर, बाल मुनिराज धर्मराज सागर, आचार्य रत्नदेव सुरिश्वर आदि ठाणा का आयड़ जैन तीर्थ स्थित आत्म वल्लभ भवन में मंगल प्रवेश हुआ।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आचार्यश्री की अगवानी में नवकारसी का लाभ मंजू कोठारी परिवार ने लिया। आचार्य संघ की शोभायात्रा धूलकोट मंदिर से गाजे-बाजे के साथ निकली जो आयड़ तीर्थ पहुंची। जहां पर धर्म सभा का आयोजन हुआ। यहां आचार्य संघ की निश्रा में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा जिसमें गुरुवार को धारणा का कार्यक्रम हुआ, 5 जनवरी से प्रवचन प्रतिदिन प्रात: 9 बजे एवं पाश्र्वनाथ पंचकल्याणक पूजा 6 जनवरी को चक्रस्तव अभिषेक, 7 जनवरी को वरघोड़ा एवं रथयात्रा व दिन में 108 पाश्र्वनाथ महापूजन एवं 8 जनवरी को सुबह तपस्वियों के तेला का पारणा किया जाएगा।
इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य ने बताया कि हमारे मन की स्थिति कैसी होती चाहिये? मन अस्वस्थ हो तो शरीर स्वस्थ होते हुए भी कोई भी वस्तु सुख नहीं दे सकती। सुरज का आधार सुख का मूल क्या है मन। मन जितना सबल होगा. उतना सुख मिलेगा और जितना निर्बल होगा, उतना दु:ख मिलेगा। डिप्रेशन वाले रोगी को क्या होता है? उसका मन कमजोर होता है, वह आत्महत्या क्यों करता है? क्योंकि उसका मन बहुत कमजोर होता है। आप सोच रहे होंगे कि मन से रहित व्यक्ति अधिक सुखी होते होंगे? जैसे एकेन्द्रिय जीव, कोणा वाले व्यक्ति लेकिन वे जिंदगी में कभी भी सुखी नहीं हो सकते। जिन्हें मन मिला है। वे ही उच्चतम सुख को पा सकते है। अत: सन रहित जीव ही सुखी होते हैं, ऐसा नहीं है। पावरफुल मन वाले अधिक सुखी होते है। जिनका मन कमजोर है, वे दु:खी हैं और जिनका मन अधिक कमजोर है वे अधिक दु:खी है। यानि कि यदि हमें सुखी होना हो तो हमारा मन ज्यादा पावरफुल होना चाहिए हमारे सुख-दु:ख का आधार मन पर ही है। पावरफुल मन-सुख और कमजोर मन – दु:ख। इस प्रकार सुख दु:ख का सिद्धान्त निश्चित हो गया। हमें हमारे मन पर विशेष ध्यान देना है।
इस अवसर पर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, यशवंत पोरवाल, भोपाल सिंह दलाल, राजेन्द्र जवेरिया, कपिश कच्छारा, चतर सिंह पामेचा, गजेन्द्र सुराणा, चन्द्र सिंह सुराणा आदि मौजूद रहे।