लंका दहन देख रामायणकाल की यादें ताजा हुई

उदयपुर। भारत के प्रसिद्ध धर्म प्रचारक रामलीला मंडल काशी के 25 कलाकारों एवं खिरोदिया जैन परिवार द्वारा सवीना मुख्य चौराहा पर आयोजित 11 दिवसीय भव्य रामलीला के आठवें दिन आज सुंदरकांड का ऐतिहासिक प्रसंग मंचित किया गया।

आयोजक दिलीप जैन ने बताया कि इस दिन सीता की खोज और लंका दहन का सुंदरकांड का मंचन हुआ। काशी के कलाकारों ने सुंदरकांड का प्रसंग बहुत ही अद्भुत तरीके से प्रस्तुत किया। माता सीता की खोज करते हुए हनुमान जी लंका पहुंचते हैं, जहां पर वे अक्षय कुमार का वध करते हैं। अशोक वाटिका में उतरने के बाद यह खबर रावण तक पहुंचती है कि राम दल से एक बंदर आया है, जिसने पूरे लंका में कोलाहल मचा दिया है। इसके बाद रावण इंद्रजीत मेघनाथ को बुलाता है और मेघनाथ जाकर ब्रह्मास्त्र से हनुमान जी को बंदी बना लाता है। हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी जाती है, और फिर हनुमान जी महाराज लंका दहन कर देते हैं। इस दृश्य की तैयारी बहुत ही सुंदर तरीके से की गई थी, और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वास्तव में यही लंका है और हनुमान जी महाराज ने सच में लंका दहन किया होगा। काशी के कलाकारों द्वारा 40 साल बाद सविना में आयोजित की जा रही रामलीला ने एक ऐतिहासिक मोड़ लिया है।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया और उदयपुर शहर के विधायक ताराचंद जैन का रामलीला के आयोजन में उद्योगपति समाजसेवी कालू लाल जैन ने स्वागत किया। दिलीप जैन और कौशिक जैन ने विधायक और सांसद का पगड़ी और साफा पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर खेरोडिया जैन परिवार की ओर से विशेष रूप से धर्मांतरण के विषय पर विचार रखे गए। इस पर कालू लाल जैन ने कहा कि तन और मन से इस आयोजन के प्रति मेरा गहरा लगाव है, क्योंकि ऐसे आयोजनों से समाज में फैल रही विकृतियों और धर्मांतरण की प्रक्रिया को रोका जा सकता है। सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने रामलीला को आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयोजन बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजन अब विलुप्त हो रहे हैं, और इनकी बहुत आवश्यकता है। इस प्रकार के आयोजनों से हमारे आदिवासी क्षेत्र के लोग चित्रण के माध्यम से समझ पाएंगे, और जो धर्मांतरण हुआ है, उनकी घर वापसी होगी। हमारा उद्देश्य दो तरह से काम करना चाहिए: एक, धर्मांतरण रुकना चाहिए और दूसरा, जो धर्मांतरण कर चुके हैं, उनकी घर वापसी होनी चाहिए।

By Udaipurviews

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