विशेष: महिला दिवस-2025
वर्ष में एक बार नारी की बात करके तालियां बटोर कर या सोशल मीडिया में ट्रेंडिंग होकर नारी हितैषी बनने से समाज और देश का उत्थान कैसे संभव है ? जरूरी यह है कि हर रोज नारी सम्मान और समानता की सोच विकसित करें। कलयुग के काल में काले मन और ओछी मानसिकता वाले लोगों को नारीशक्ति और सम्मान की अपनी संस्कृति और गौरवमयी विरासत की पहचान करानी होगी।
नारी माँ है, पन्नाधाय की गौरव गाथा है। नारी तू जगत जननी हैं। बलिदानों की अमर कहानी है। सीता और लक्ष्मी भी आप ही हैं। जगत का अस्तित्व नारी बिना संभव नहीं। नारी कोरी कोमल काया नहीं बल्कि मानवता की छाया है। याद करो माँ अपनी शक्ति, कई शूरवीरों,भक्तों और ऋषि मुनियों की जननी तुम्हीं ही हो।
नारी अनगिनित स्वरूपों में घर, परिवार,समाज और देश को राह दिखा रही है। कभी शक्ति बनती है तो कभी भक्ति।कभी दुर्गा बनके तो कभी काली बनकर रक्षा करती है। जब भी छा जाता है अंधेरा, तब सूर्योदय की लाली बन प्रकाश करती हैं। बिन महिलाओं के यह संसार अधूरा है।
इतिहास गवाह है जब भी राज्यसत्ता और धर्मसत्ता पर आंच आई तब नारी ने अपने साहस, शौर्य, वीरता और बल से हमें बचाया है। कैसे भूल सकते हैं रुद्रमा देवी,रानी दुर्गावती और अहिल्याबाई और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को।
माँ मीराबाई,रजिया सुल्तान, कस्तूरबा गाँधी,कमला नेहरू, कालीबाई, सावित्रीबाई फूले और मदर टेरेसा जैसी नारियों की गौरवमयी गाथाओं से शिक्षा लेनी चाहिए।
आज समय है विकसित भारत की यात्रा का। जिसमें महिला शोषण,अत्याचार,बलात्कार, अशिक्षा,अधिकारहीन,निर्बल और परवश नारी को देखना अभिशाप से कम नहीं होगा।
इसलिए महिलाशक्ति को अपना सामर्थ्य याद करना होगा,स्वयं को ज्ञान योग की शक्ति से भर कल्याणी बनकर जग के उद्धार में आगे आना चाहिए। तभी महिला दिवस और नारी स्वरूप ‘नारी तू नारायणी’ के रूप में पुनः स्थापित हो सकेंगी।
-भगवान प्रसाद गौड़,
मीरा नगर, उदयपुर