भीलवाड़ा, 23 अगस्त। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतेन्द्र पुरी गोस्वामी ने वीसी के माध्यम से समस्त ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा अधिकारियों व स्वास्थ्य कार्मिकों को सम्बोधित कर कहा कि मानसून सीजन को दृष्टिगत रखते हुए मलेरिया, डेंगू, स्वाईन फ्लू, स्क्रब टाइफस, चिकनगुनिया जैसी वैक्टर जनित बीमारियों का ट्रांसमिशन सीजन होने से इन बीमारियों के नियंत्रण व रोकथाम हेतु जिले में व्यापक स्तर पर एन्टीलार्वल गतिविधियां आयोजित कर विशेष प्रयास करने को चिकित्सा अधिकारियों को कहा। शुक्रवार को इस संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर चिकित्सा संस्थानों पर पूर्ण तैयारियों सुनिश्चित कर वृहद्व स्तर पर जागरूकता फैलाने के साथ ही फिल्ड में की जा रही एन्टीलार्वल गतिविधियों की रिपोर्ट मरुधरा एप पर अपलोड करने के निर्देश सीएमएचओ डॉ0 सीपी गोस्वामी ने चिकित्सा अधिकारियों को दिये।
सीएमएचओ डॉ0 गोस्वामी ने मौसमी बीमारियों के नियंत्रण व बचाव हेतु स्वास्थ्य कार्मिकों को शहरी/ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर फीवर सर्वे, ब्लड स्लाइड कलेक्शन, मलेरिया पॉजीटिव रोगियों का पूर्ण उपचार, एन्टी एडल्ट, एन्टीलार्वल, सोर्स रिडक्शन, पायरेथ्रम स्प्रे व आईईसी प्रचार प्रसार गतिविधियां व्यापक स्तर करने के निर्देश दिये। इस दौरान सीएमएचओ ने जिले के समस्त चिकित्सा संस्थानों की ओडीके एप के माध्यम से जियो टैगिंग करने के निर्देश भी प्रदान किये। वीसी के दौरान कार्यालय के विभिन्न अनुभाग अधिकारियों द्वारा ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा सेवा के अधिकारियों व कार्मिकों को ऑनलाइन मरुधरा एप, क्लैपिया एप का प्रशिक्षण प्रदान किया। वीसी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न अनुभाग अधिकारियों सहित ब्लॉक स्तर के चिकित्सा अधिकारी व कार्मिकों ने भाग लिया।
मलेरिया, डेंगू, एवं स्वाईन फ्लू से बचाव संभव है-
एपिडिमियोलॉजिस्ट डॉ0 सुरेश चौधरी ने वीसी में स्लाइड प्रेजेंटेशन के माध्यम से मौसमी बीमारियों की जानकारी चिकित्सा अधिकारियों को दी। उन्होंने बताया कि मलेरिया, डेंगू एवं स्वाईन फ्लू से बचाव संभव है इसके लिए आमजन अपने घरों में पानी के सभी बर्तन, टंकी आदि को पूरी तरह से ढक कर रखे। सप्ताह में एक बार कूलर, फूलदान, टंकियों, हौंदी व परिंडे आदि का पानी खाली कर सूखने के बाद हीं पानी भरे। अनुपयोगी बर्तन, पुराने टायर एवं कबाड़ को छत पर इकट्ठा न करें। नारियल के खोल, डिस्पोजेबल बर्तन आदि को नष्ट कर दे। पूरी आस्तीन के कपडे पहनें व सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। रूके हुए पानी में प्रत्येक सप्ताह जले हुए तेल या मिट्टी के तेल की कुछ बूंदे डाले। घर के अन्दर व आस-पास साफ-सफाई रखे ताकि बीमारी फैलाने वाले मच्छर न पनप पावें।