डूंगरपुर 14 दिसंबर। आदिवासी आरक्षण मंच ने राज्य सरकार से अनुसूचित क्षेत्र के जनजाति वर्ग के लिए 6.5 प्रतिशत पृथक आरक्षण की मांग करते हुए आगामी 6 जनवरी, 2025 को आदिवासी कॉलेज छात्रावास परिसर, डूंगरपुर में आयोजित होने वाली अपनी ऐतिहासिक महारैली के लिए तैयारियों को गति दी है। मंच ने इस रैली के माध्यम से जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण, भर्ती और पदोन्नति में छूट, तथा अन्य जरूरी मुद्दों पर सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपील की है।
कोटे में कोटा आरक्षण: ऐतिहासिक निर्णय के बाद की रणनीति : मंच के नेताओं ने प्रेस वार्ता में बताया कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा कोटे में कोटा आरक्षण को संवैधानिक घोषित किए जाने के बाद अब राज्य सेवाओं में अनुसूचित क्षेत्र के जनजाति वर्ग को पृथक आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मंच के नेताओं ने इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत किया और इसे दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर बताया।
आदिवासी आरक्षण मंच ने अपनी प्रमुख मांगें सामने रखते हुए कहा कि:
1. मेडिकल और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश की तर्ज पर भर्ती और पदोन्नति में 6.5 प्रतिशत पृथक आरक्षण दिया जाए।
2. अनुसूचित क्षेत्र की स्थानीय जनजाति को **जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण** मिले।
3. न्यूनतम पात्रता मापदंड में पूरी छूट दी जाए, ताकि आदिवासी वर्ग के छात्र-छात्राओं को समान अवसर मिल सकें।
आंदोलन का जन समर्थन: संगठनों और राजनैतिक दलों की भागीदारी : मंच ने 6 जनवरी, 2025 को होने वाली महारैली में बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिलों के विभिन्न संगठनों, राजनीतिक दलों और समाजसेवियों से भागीदारी की अपील की है। रैली आदिवासी कॉलेज छात्रावास परिसर से शुरू होकर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय तक जाएगी, जहां ज्ञापन प्रस्तुत किया जाएगा। इस रैली का उद्देश्य न केवल आदिवासी समुदाय की मांगों को सरकार तक पहुँचाना है, बल्कि सभी वर्गों को एकजुट करना भी है।
भ्रांतियों का खंडन: आदिवासी समाज की एकता की अपील : मंच ने कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा आदिवासी समुदाय में फूट डालने की अफवाहों का खंडन किया। मंच के नेताओं ने समाज से अपील की कि वे इन भ्रांतियों से दूर रहकर एकजुट होकर इस आंदोलन में भाग लें। उन्होंने स्पष्ट किया कि आदिवासी समाज का विभाजन नहीं है, बल्कि यह एकजुटता का समय है, ताकि आदिवासी समुदाय के अधिकार सुरक्षित किए जा सकें।
सामाजिक और राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया : पूर्व सांसद कनकमल कटारा ने इस आंदोलन को समाज के उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि यह किसी जाति या वर्ग के खिलाफ नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एक नई शुरुआत बताया और कहा कि यह आंदोलन जनजाति वर्ग के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने कहा कि राजस्थान में कोटे में कोटा आरक्षण लागू करने की जरूरत है, जैसा कि हरियाणा और तमिलनाडु में हुआ है। डूंगरपुर नगर परिषद के सभापति अमृत कलासुआ ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इससे क्षेत्र में युवाओं को उच्च पदों पर अवसर मिलेंगे, जिससे विकास की नई धारा का प्रवाह होगा।
आंदोलन की दिशा: समाज और सरकार के लिए संदेश : आदिवासी आरक्षण मंच के सलाहकार प्रो. मणिलाल गरासिया ने इस आंदोलन को समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने की कोशिश बताया और अपील की कि राजनीतिक दल अपनी विचारधारा से ऊपर उठकर इस आंदोलन में योगदान करें। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन समाज के उत्थान के लिए है और किसी एक पार्टी या वर्ग का नहीं है। मंच ने सरकार से अपील की कि वे आदिवासी समाज की मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करें, ताकि युवाओं को समान अवसर मिल सके और उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। आदिवासी आरक्षण मंच के कार्यकर्ताओं ने यह संकल्प लिया है कि वे इस आंदोलन को हर हाल में सफल बनाएंगे और जनजाति वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
आयोजनकर्ता और उपस्थित प्रमुख व्यक्ति : प्रेस वार्ता का आयोजन आदिवासी आरक्षण मंच के नेतृत्व में किया गया। इस मौके पर मंच के सलाहकार प्रो. मणिलाल गरासिया, प्रो. कमलकांत कटारा, रूपलाल डामोर, और चंदूलाल बरांडा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य भी मौजूद थे, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद कनकमल कटारा, पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय, और कांग्रेस पार्टी के कालूराम बगड़िया शामिल थे। 6 जनवरी को डूंगरपुर और आसपास के क्षेत्रों में आयोजित होने वाली यह ऐतिहासिक रैली सामाजिक जागरूकता का एक नया अध्याय लिखेगी और सभी वर्गों को समानता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।