उदयपुर, 4 जनवरी : कोर्ट ने नगर विकास प्रन्यास से जुड़े कूटरचित दस्तावेजों के मामले में आरोपी की जमानत खारिज कर दी। मामला नगर निगम उदयपुर के स्वामित्व वाले भूखंडों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लीज डीड जारी करवाने और भूखंडों की धोखाधड़ीपूर्ण बिक्री से जुड़ा है।
मामले की जानकारी देते अपर लोक अभियोजक गोपाल लाल पालीवाल ने बताया कि नगर निगम उदयपुर ने शिकायत दर्ज करवाई कि नगर विकास प्रन्यास से हस्तांतरित भूखंडों में अनियमितताएं और फर्जीवाड़ा हुआ है। जांच के दौरान सामने आया कि नगर विकास प्रन्यास से प्राप्त कुछ मूल दस्तावेजों में कूटरचित आवंटन पत्र शामिल थे। इन पत्रों पर फर्जी मोहर लगाकर भूखंडों की लीज डीड जारी की गई। जांच में यह भी पता चला कि इन दस्तावेजों के आधार पर भूखंडों को अन्य व्यक्तियों को धोखाधड़ी से बेचा गया। अभियुक्त राजदीप सिंह पर आरोप है कि उसने सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए और उनके माध्यम से नगर निगम को धोखे में रखकर भूखंडों की लीज डीड प्राप्त की।
अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत याचिका में कहा गया कि उसका इस प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है और न ही कोई बरामदगी उससे हुई है। वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है और न्यायालय के आदेशानुसार जमानत मुचलका प्रस्तुत करने के लिए तैयार है।
राज्य के अपर लोक अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त और सह-अभियुक्तों द्वारा संगठित तरीके से नगर विकास प्रन्यास की संपत्तियों को कूटरचित दस्तावेजों के जरिए अवैध रूप से हस्तांतरित किया गया, जिससे सरकारी संपत्ति को हानि पहुंची। न्यायालय ने अभियुक्त के खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य और अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने टिप्पणी की कि इस प्रकार के गंभीर अपराधों में जमानत देने से अवैध भूमि हस्तांतरण के मामलों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे भोले-भाले नागरिकों और सरकारी संस्थानों को हानि होती है। अतः अपर सेशन न्यायालय क्र.सं-5 के पीठासीन अधिकारी भारत भूषण पाठक ने अवैध हथियार रखने के मामले में अभियुक्त राजदीप सिंह पुत्र मानसिंह निवासी गोरखपुर हाल मल्लातलाई की जमानत याचिका खारिज कर दी।