108 भागवत मूल पारायण के मंत्रों और वैदिक ऋचाओं से गूंज उठा साकेत नगर, सर्व पितरों के मोक्ष के लिए हुआ तर्पण विधान
9 कुण्डीय श्री लक्ष्मीनारायण एवं श्रीविद्या महायज्ञ दर्शनों को उमड़े श्रृद्धालु,विश्वविख्यात संत श्री अग्रमलूकपीठाधीश्वर द्वारा श्रीमद्भावगत कथा अमृत वृष्टि
निष्काम सेवा और सत्संग भगवत्प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन – स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्य जी महाराज
बांसवाड़ा, 21 नवम्बर/प्राचीन तपोभूमि और सिद्धों के महाधाम लालीवाव मठ में आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को यज्ञार्चन और पितरों के मोक्ष के निमित्त 108 भागवत मूल पारायण के साथ ही तर्पण विधान हुआ और अग्रमलूक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज के श्रीमुख से सप्ताह भर तक चलने वाली श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ।
गुरुवार को साकेत नगर लालीवाव मठ में श्रृद्धालुओं का मेला उमड़ पड़ा और हजारों की संख्या में श्रृद्धालुओं ने यज्ञ और भागवत पाण्डाल की परिक्रमा की और कथा का श्रवण किया।
भागवत कथा सुनने उमड़ा श्रृद्धालुओं का ज्वार
महोत्सव के अन्तर्गत गुरुवार को श्रीमद्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री अग्रमलूकपीठाधीश्वर एवं विश्वविख्यात आध्यात्मिक विभूति संत स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज के श्रीमुख से सात दिवसीय भागवत कथा शुरू हुई। पहले ही दिन कथा श्रवण करने धर्मावलम्बियों का ज्वार उमड़ आया।
व्यास पीठ से कथा श्रवण कराते हुए श्रीमद्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री अग्रमलूकपीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने लालीवाव मठ के सदियों पुराने ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व का स्मरण कराते हुए मठ से संबंधित सभी पीठाधीश्वरों का स्मरण और श्रृद्धापूर्वक नमन किया।
भागवत के सार की व्याख्या करते हुए उन्होंने निर्लोभ और निष्काम सेवा और सत्संग को सर्वोपरि महत्त्व देते हुए इसे जीवन में अंगीकार करने पर बल दिया और कहा कि देहात्म बुद्धि का समूलोच्छेदन इन्हीं से हो सकता है। इससे रजोगुण, तमोगुण एवं माया की निवृत्ति होकर विशुद्ध सत्त्व गुण परिपक्व होता है और इसी से भगवत प्राप्ति की राह आसान होने लगी है।
विश्वविख्यात आध्यात्मिक विभूति संत स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने साधना में तीव्रता लाने, ममता का परित्याग करने, प्रेम तत्व का जागरण करते हुए अनुराग के साथ भक्ति और भगवत प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए कहा कि मुर्दों से नहीं बल्कि जीवित से प्रेम करना चाहिए।
भागवत कथा के आरंभ में महोत्सव के परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज सहित सभी संत-महंतों एवं महामण्डलेश्वरों, लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज, संत श्री रघुवीरदास महाराज, महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त त्रिवेदी, संयोजक भुवनमुकुन्द पण्ड्या सहित पदाधिकारियों, भागवत पोथी एवं यज्ञकुण्ड के यजमानों आदि ने पुष्पहारों से अग्रमलूकपीठाधीश्वर का स्वागत और भागवत का पुष्पार्चन किया। मंच संचालन संत श्री रघुवीरदास महाराज ने किया।
पहले दिन व्यासपीठ से श्रीमद्भागवत कथा माहात्म्य, सृष्टि के प्रादुर्भाव, भागवत से उद्धार आदि पर कथा का श्रवण कराया गया। कथा का विराम आरती से हुआ।
महोत्सव के परमाध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज ने लालीवाव मठ के पूर्व श्रीमहंत नारायणदास महाराज की पावन स्मृति में आयोजित इस विराट धार्मिक महोत्सव की आशातीत सफलताओं के लिए आशीर्वाद देते हुए अग्रमलूकपीठाधीश्वर के प्रति साधुवाद जताया।
लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदास महाराज ने अपने उद्बोधन में अग्रमलूकपीठाधीश्वर का स्वागत किया और उनकी कथा को बांसवाड़ा के लिए गौरव बताते हुए श्रीमद्भागवतजी का पूजन किया।
श्रीविद्या एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ शुरू
विराट महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को श्रीविद्या महायज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ जाने-माने आचार्य पं. निकुंज मोहन पण्ड्या के आचार्यत्व में 40 से अधिक विद्वान पण्डितों ने अनुष्ठानों का शुभारंभ विनायक स्तवन, स्थापित देवी-देवताओं के पूजन-अर्चन से किया और अग्नि ऋचाओं से अरणी मंथन से प्रज्वलित अग्नि से यज्ञार्चन की शुरूआत की।
इसके अन्तर्गत श्रीसूक्त एवं श्रीविद्या मंत्रों, लक्ष्मीनारायण मंत्रों एवं स्तोत्रों, श्रीसूक्त आदि के सामूहिक पाठ एवं विभिन्न द्रव्यों तथा समिधाओं से नौ कुण्डों के यजमानों ने हवन किया।
तीर्थ धामों के भागवत विद्वानों द्वारा पारायण
सर्व पितृ मोक्ष के उद्देश्य से गुरुवार को सात दिवसीय 108 श्रीमद्भागवत पारायण आरंभ हुआ। इसमें वृन्दावन धाम स्थित श्री राजा राम मूर्तिकुंज, मलूक पीठ के साथ ही अयोध्या, वाराणसी, चित्रकूट, प्रयाग सहित देश के विभिन्न तीर्थ नगरों से आए भागवत वाचन के 108 विद्वान पण्डितों द्वारा समवेत स्वरों में सस्वर भक्तिभाव से श्रीमद्भागवत का मूल पारायण किया जा रहा है। यह 27 नवम्बर तक चलेगा। बांसवाड़ा में आयोजित इस प्रकार का पहला आयोजन श्रृद्धालुओं के लिए जबर्दस्त आकर्षण एवं श्रृद्धा का केन्द्र बना हुआ है।
भागवत पारायण के शुभारंभ समारोह में ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या द्वारा गुरुवन्दना के उपरान्त श्रीधाम वृन्दावन से आए प्रसिद्ध भागवताचार्य आचार्य योगेन्द्र मिश्र, पं. बृजबिहारी उपाध्याय एवं पं. भक्तराज ने परम भागवतों व वेद व्यास के स्मरण तथा मंगलाचरण किया। इसके उपरान्त समस्त यजमानों द्वारा भागवत ग्रंथपूजन व भागवत विद्वानों का पूजन आदि का विधान किया।
पितरों के लिए तर्पण विधान
भागवत पूजन एवं संकल्प ग्रहण के उपरान्त सभी यजमानों को निर्मोही अखाड़ा(उज्जैन) के धर्माचार्य पं. नारायण शास्त्री एंव सहयोगियों आचार्य पं. अभिषेक(भोपाल), पं. जगदीश शर्मा(नीमच), पं. रितिक पंचोली एवं पं. विराग जोशी(उज्जैन) ने विधि विधान के साथ पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण एवं यज्ञ विधान पूर्ण करवाया।
पूजा-अर्चना से शुभारंभ
गुरुवार सवेरे पूर्व पीठाधीश्वरों के स्मरण एवं माल्यार्पण के उपरान्त लालीवाव मठ में सदियों पूर्व से प्रतिष्ठित श्रृद्धा केन्द्र भगवान श्री हनुमानजी, भगवान श्री पद्मनाभ भगवान सहित विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से दूसरे दिन के अनुष्ठानों का शुभारंभ हुआ।
देवताओं और पीठाधीश्वरों के दर्शन
श्रीमद्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री अग्रमलूकपीठाधीश्वर एवं विश्वविख्यात आध्यात्मिक विभूति संत स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने लालीवाव मठ पहुंचते ही भगवान पदमनाथ भगवान के दर्शन कर पूजन किया और लालीवाव पीठ के पूर्ववर्ती पीठाधीश्वरों का स्मरण करते हुए उनकी मूर्तियों के दर्शन किए।
लालीवाव मठ के संत निवास में अग्रमलूक पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज का स्वागत विश्वविख्यात संत श्रीमद् जगद्गुरु श्री टीलाद्वारागाद्याचार्य मंगलपीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज ने पुष्पपहार पहना कर किया। इस दौरान् लालीवाव पीठ की ओर से पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज ने उनकी अगवानी की।
संत-महात्माओं ने किया स्वागत
उनका स्वागत करने वाले संत-महात्माओं में जगद्गुरु अयोध्याचार्यजी महाराज(हरिद्वार), महामण्डलेश्वर रामकृष्णदास जी महाराज (पुरी-उड़ीसा), महामण्डलेश्वर गरीबदासजी महाराज(भावनगर, गुजरात), महंत भक्तचरणदासजी महाराज(नासिक), दाशरथदासजी महाराज(गुजरात), महंत पूर्णचन्द्रदासजी महाराज(कणास), महंत जोगीजी महाराज एवं महंत सनातनदासजी महाराज(उड़ीसा), महंत नारायणदास महाराज (झांसी), डाकोर खालसा विश्वपीठ के अधिकारी श्रीनिवासदासजी महाराज(डाकोर), छींच गुरु आश्रम के महंत घनश्यामदासजी महाराज, महंत महावीरदासजी महाराज(नड़ियाद), काशीदासजी महाराज(उज्जैन), रघुवीरदासजी जोगीजी महाराज(जयपुर), गंगादासजी महाराज(ललितपुर), जगदीशदासजी महाराज(दाहोद) आदि प्रमुख हैं।
शुक्रवार को अनुष्ठानों की शुरूआत प्रातः 8 बजे से, भागवत कथा दोपहर 2 बजे से
शुक्रवार से यज्ञार्चन के अन्तर्गत स्थापित देवताओं का पूजन एवं महायज्ञ और 108 भागवत पारायण के अन्तर्गत भागवत पोथी पूजन प्रातः 8 बजे से आरंभ होगा। भागवत कथा ज्ञान यज्ञ दोपहर 2 बजे शुरू होगा।
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