उदयपुर में मां बगलामुखी का मंदिर बनाने का संकल्प, कोलाचार्य ने किया जनसहयोग का आह्वान

-पूर्णाहुति पर पधारेंगे काशी सुमेरू पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती
-अभिभावकों से आह्वान – मोबाइल में खपने वाले समय का उपयोग बच्चों का आत्मबल बढ़ाने में करें

उदयपुर, 21 अक्टूबर। उदयपुर के बलीचा स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर में सनातनी चातुर्मास के साथ चल रहे मां बगलामुखी की आराधना के 54 कुण्डीय महायज्ञ के कोलाचार्य माई बाबा ने उदयपुर में मां बगलामुखी का मंदिर बनाने का संकल्प व्यक्त किया है। इसके लिए उन्होंने भक्तों से तन-मन-धन से सहयोग का आह्वान किया है।

कोलाचार्य माई बाबा ने शनिवार को 54 कुण्डीय सप्तद्वीप महायज्ञ शाला परिसर में प्रेसवार्ता में यह संकल्प व्यक्त किया और कहा कि भक्ति की धरा पर मां बगलामुखी के प्रति श्रद्धा रखने वालों की संख्या अपार है, किन्तु यहां मां बगलामुखी का कोई स्थान नहीं है। ऐसे में इस महायज्ञ के साथ ही यह संकल्प प्रेरित हुआ है।

कोलाचार्य ने कहा कि महायज्ञ के अब सिर्फ तीन दिन शेष हैं। मंगलवार को विजयदशमी पर पूर्णाहुति होगी। इस पूर्णाहुति में काशी सुमेरू पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती का सान्निध्य रहेगा। वे 23 अक्टूबर सुबह 7.30 बजे उदयपुर पधारेंगे। इसके बाद वे महायज्ञ की परिक्रमा करने आएंगे। विजयदशमी पर 24 अक्टूबर को वे यज्ञशाला में आशीर्वाद प्रदान करेंगे। उनके सान्निध्य में होगी। पूर्णाहुति पर अपराजिता व शमी का विशेष पूजन भी होगा।

कोलाचार्य ने बताया कि यह उदयपुर का सौभाग्य है कि यहां पर मां बगलामुखी की आराधना के लिए 54 कुण्डीय महायज्ञ हो रहा है। यदि कोई इसमें शामिल नहीं हो पा रहा है तो वह यज्ञ मण्डप की परिक्रमा भी कर सकता है। परिक्रमा का भी उतना ही महत्व है। उन्होंने माता-पिता से आह्वान किया कि वे बच्चों को भी महायज्ञ में लाएं और परिक्रमा कराएं। कोलाचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति, सनातन संस्कार, सनातन शास्त्रों में वर्णित पूजा-अनुष्ठान आदि का ज्ञान नई पीढ़ी को आवश्यक है।

कोलाचार्य माई बाबा ने माता के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करते हुए कहा कि आज देश मातृशक्ति की महिमा को भूल रहा है। देश में बेटियों के साथ अनाचार बढ़ रहा है। बेटियों को समाजकंटकों, विधर्मियों द्वारा बहला-फुसला कर पथभ्रमित किया जा रहा है। ऐसे समय में मातृशक्ति के स्वरूपों को अवश्य समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हर माता के हाथों में अलग-अलग प्रकार के शस्त्र हैं, इस संदेश को समझने की आवश्यकता है। यदि हम बेटी को शास्त्रों अर्थात पुस्तकीय ज्ञान दे रहे हैं तो उन्हें आत्मरक्षा और आत्मबल के लिए शस्त्रों के ज्ञान की भी आवश्यकता है। मोबाइल पर खपाये जाने वाले समय में यदि माता-पिता अपने बच्चों के आत्मबल को बढ़ाने की गतिविधियों में समय देंगे तो राष्ट्र सशक्त होगा। हमारी बेटी पर बुरी नजर डालने वालों को यह ज्ञात होना चाहिए कि उनके एक हाथ में यदि माला है तो एक हाथ में भाला भी है।

एक सवाल के जवाब में कोलाचार्य ने स्पष्ट किया कि यूट्यूब सहित विभिन्न डिजिटल माध्यमों पर बताए जा रहे इस प्रकार के अनुष्ठान की प्रक्रियाओं का अनुसरण न करें। किसी भी तरह के अनुष्ठान के लिए प्रत्यक्ष रूप से उस अनुष्ठान के साधक व गुरु का सान्निध्य अवश्य लें।

कोलाचार्य ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि इस महायज्ञ शाला की रज का भी उतना ही महत्व है। श्रद्धालु पूर्णाहुति के पश्चात् प्रसाद रूप में इसे अपने घर ले जा सकते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेगी। प्रेसवार्ता में महायज्ञ के प्रधान कुण्ड के जजमान हरियाणा के किशन राठी व भूपति कालूलाल जैन ने भी व्यवस्थाओं की जानकारी दी। काशी से पधारे कालीचरण महाराज ने भी मां बगलामुखी की आराधना के महत्व की जानकारी दी।

मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि महायज्ञ शाला की परिक्रमा का क्रम जारी है। दोपहर के सत्र में देवी भागवत पुराण की कथा का भी श्रद्धालु श्रवण कर रहे हैं।

By Udaipurviews

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